जानें श्रीकृष्ण ने लीलाओं के अलावा लड़े कितने युद्ध
भगवान श्रीकृष्ण ने अपने जीवन में कई युद्ध लड़े। कहना चाहिए कि उन्होंने अपने जीवन में युद्ध ही युद्ध किए। श्रीकृष्ण कि जो रसिकबिहारी की छवि का निर्माण हुआ वह मध्यकाल के भक्त कवियों द्वारा ही निर्मित की गई है, कयोंकि वे अपने आराध्या को हिंसक मानने के लिए तैयार नहीं थे। उस समय के भक्तों ने श्रीकृष्ण की छवि को पूरी तरह यसे बदलकर रख दिया। खैर, कहने को तो भगवान कृष्ण ने कई असुरों का वध किया, जिनमें पूतना, कालिया, यमुलार्जन आदि। लेकिन हम आपको इस जन्माष्टमी के अवसर पर बताएंगे कि श्रीकृष्ण ने अपने जीवन में कौन-कौन से युद्ध लड़े और उनका संचालन किया।
कंस से युद्ध-
कंस से युद्ध तो श्रीकृष्ण ने जन्म से ही करना शुरू कर दिया था। कंस के कारण ही तो श्रीकृष्ण को पूतना, शकटासुर आदि का बचपन में ही वध करना पड़ा। माना जाता है कि वह अपनी चचेरी बहन देवकी से बहुत प्यार करता था। लेकिन एक बार वह देवकी के साथ रथ पर जा रहे थे, तभी भविष्यवाणी हुई कि देवकी का आंठवा बालक तुझे मार डालेगा। बस इसी भविष्यवाणी ने कंस का दिमाग घुमा दिया।
जरासंध से किया युद्ध-
कंस वध के बाद जरासंध से तो कृष्ण ने कई बार युद्ध किया। जरासंध कंस का ससुर था। इसलिए उसने कृरूण को मारने के लिए मथुरा में कई बार आक्रमण किया।
कालयवन से युद्ध-
पुराणों के अनुसार जरासंध ने मथुरा पर चढ़ाई की वह असफल रहा। कालयवन की सेना ने मथुरा को चारों तरफ से घेर लिया। तब श्रीकृष्ण ने कालयवन से कहा कि युद्ध केवल उनके और कालयवन के बीच में हो। कालयवन ने उनका ये फैसला मान लिया। माना जाता है कि इस युद्ध के बाद से ही श्रीकृष्ण का नाम रणछोड़ पड़ा।
कृष्ण और अर्जुन का युद्ध-
कहते हैं कि एक बार कृष्ण और अर्जुन में भयंकर युद्ध हुआ था। ये कृष्णजी के जीवन का भयंकर युद्ध था। कहा जाता है कि ये युद्ध कृष्ण की बहन सुभद्रा की प्रतिज्ञा के कारण हुआ था।
शिव और कृष्ण का जीवाण युद्ध-
माना जाता है कि कृष्ण ने असम में बाणासुर और भगवान शिव से युद्ध के समय जृंभास्त्र का प्रयोग किया था। इस युद्ध में बाणासुर की जान बचाने के लिए स्वयं जब मां पार्वजी सामने आकर खड़ी हो गई, तब श्रीकृष्ण ने बाणासुर को अभयदान दिया।
नरकासुर से युद्ध-
कहा जाता है कि एक बार भगवान इंद्र श्रीकृष्ण के पास पहुंचे और कहने लगे कि नरकासुर से अत्याचार से देवतागण त्राहि-त्राहि मचा रहे हैं। तभी श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद से भौमासुर यानि नरकासुर का वध कर डाला।
महाभारत युद्ध-
महाभारत का युद्ध 14 नवंबर 3050 ईपूर्व हुआ था। तब श्रीकृष्ण 55 या 56 वर्ष के थे। हालांकि कुछ विद्वान मानते हैं कि उनकी उम्र 83 वर्ष थी। महाभारत के युद्ध के 36 साल बाद उन्होंने अपनी देह त्याग दी थी। इसका मतलब 119 साल की उम्र में उन्होंने देह त्याबग दिया था। महाभारत युद्ध 18 दिनों तक चला था। इस युद्ध में ही श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था।