यहां इंसान नहीं बंदर लेते हैं शाही दावत का मज़ा
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आज तक हम सिर्फ़ ये जानते थे कि भारत में बंदरों को हनुमान जी का रूप माना जाता है लेकिन विदेश में भी एक शहर ऐसा है जहां बंदरों को पवित्र माना जाता है। यहां सड़कों पर बंदर खुलेआम घूमते हैं। न तो वे किसी से डरते हैं और न ही कोई और उन्हें परेशान करता है। इन बंदरों की यहां खास तरह से मेहमाननवाजी होती है। अगर आप सोच रहे हैं कि यहां ऐसा रोज होता है तो ऐसा नहीं है। ऐसा एक ख़ास मौके पर होता है।
थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक से डेढ़ सौ किलोमीटर दूर लोपबुरी शहर में ’मंकी बफे यानी बंदरों की दावत’ का आयोजन किया जाता है। इस फेस्टिवल में लगभग 2000 किलो फल और सब्जियां बंदरों की दावत के लिए रखी जाती हैं।
मंकी बफे के नाम से पहचाना जाने वाला ये फेस्टिवल पहली बार 1989 में हुआ था। इसके पीछे का कारण लोपबुरी के स्थानीय बंदरों को भोजन कराना और इस बहाने इलाके में पर्यटन को बढ़ावा देना है।
बंदरों की इस दावत को देखने वाले स्थानीय लोगों के अलावा विदेशी पर्यटक भी होते हैं। बंदरों की इस दावत में करीब दो हजार किलो फल, सब्जियां, आइसक्रीम, सॉसेज, जैली और दूसरे खाने के सामान रखे जाते हैं जो ये बंदर मिनटों में साफ़ कर जाते हैं।
ख़ास बात तो ये है कि दावत में हिस्सा लेने आए इन बंदरों को खाने का न्यौता भी भेजा जाता है। थाइलैंड में बंदरों को पवित्र जानवर माना जाता है इसलिए दावत के बहाने लोग बंदरों के प्रति अपना कृतज्ञता दर्शाते हैं। बंदरों की ये दावत लोपबुरी शहर के प्रा प्रांग सैम योत मंदिर में होती है। थाई लोगों का मानना है कि बंदर उनके निजी जीवन और उनके शहर के लिए सौभाग्य का प्रतीक हैं।
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