थाइलैंड बना एशिया का पहला ऐसा देश,जहां मां से बच्चे में नहीं फैलता एचआईवी
एड्स के खिलाफ कमर कस चुके थाइलैंड को एक बहुत बड़ी जीत मिली है। उनकी इस जीत पर वल्र्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने भी मुहर लगा दी है। डबल्यूएचओ ने इस कामयाबी को अहम बताते हुए कहा है कि एचआईवी को पहली बार महावारी के रूप में झेल रहा थाइलैंड अब एड्स मुक्त नई पीढ़ी सुनिश्चित करने में कामयाब हो गया है।
दरअसल थाइलैंड एड्स से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला एशिया का देश है। इसके लिए थाइलैंड पिछले कई सालों से एड्स को मिटाने की कोशिश में लगा था। जिसे अब जाकर सफलता मिली है। वैसे बता दें कि कयूबा ने पिछले साल ही मां से बच्चे को होने वाले एड्स से मुक्ति पा ली थी। लेकिन वो डबल्यूएचओ के मानक पर खरा नहीं उतरा था। इसके अलावा बेलारूस व आर्मेनिया ने भी मां से बच्चे में होने वाले एचआईवी संक्रमण पर थाइलैंड के साथ मुक्ति पा ली है। लेकिन इन तीनों देश में थाईलैंड की तुलना में एड्स का प्रभाव कम है। इन सभी देशों के बीच में थाइलैंड डबल्यूएचओ के नए मानकों पर सबसे पहले खरा उतरा है।
मां से बच्चे को एड़्स होने का 15 से 20 फीसदी का खतरा-
मां से बच्चे को एचआईवी का खतरा ज्यादा होता है। डबल्यूएचओ के अनुसार इलाज न होने पर एचआईवी पीडि़त मां से पैदा होने वाले बच्चे में एड्स से संक्रमित होने की संभावना 15 से 20 फीसदी तक होती है। ऐसा जन्म देने के बाद फीड कराने से भी होता है। लेकिन प्रेग्रेंसी के दौरान एंटीवायरल ड्रग्स देकर मां से बच्चे को होने वाले एड्स के खतरे को एक फीसदी तक घटाया जा सकता है।