लाइट सिगरेट के चलते बढ़ रही महिला स्मोकर्स की तादाद, एक करोड़ से ज्यादा महिलाएं लगा रही हैं कश
जब से बाजार में ई-सिगरेट मिलना शुरू हुई है महिला स्मोकर्स की तादाद बढऩे लगी है। महिलाएं अब दुकानों से सिगरेट नहीं खरीदतीं बल्कि ऑनलाइन शॉपिंग करते समय ई-सिगरेट या लाइट सिगरेट मंगाती हैं। महिलाओं का इस बारे में मानना है कि चार्जेबल ई-सिगरेट किसी रेगुलर सिगरेट से कहीं ज्यादा सुरक्षित है। ये अलग-अलग फलवेर में मिल जाती है। तंबाकू से लेकर मैंथॉल, चैरी, वनीला, पीच के फलवेर में। इसका होठों के बीच रखा जाने वाला बेस सिलिकॉन का होता है। जिससे लीकेज की संभावना नहीं होती है।
इसी साल जनवरी में अमेरिकन मेडिकल असोसिएशन की तरफ से दुनियाभर में सिगरेट ट्रेंड पर की गई एक सर्वे रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी , जिसमें भारत में महिला स्मोकर का आंकड़ा लगभग 1 करोड़ 20लाख 10 हजार का बताया गया था। सर्वे में कहा गया कि 1980 से लेकर 2012 के बीच पुरूषों में सिगरेट पीने के ट्रेंड में कमी आई है, यह ट्रेंड 33.8 फीसदी से घटकर 23 फीसदी रह गया है। जबकि महिला स्मोकर की तादाद बढ़ी है। एक औसत लिया जाए जहां दस में से एक लड़का सिगरेट पीना शुरू करता है , वहीं 5 में से 1 लड़की औसतन 17 साल में सिगरेट पकड़ लेती है। औसत रूप से दिनभर में लड़कियां जहां सात सिगरेट पीती हैं वहीं लड़कों का आंकड़ा 6.1 का है।
आजादी की भावना या स्टेटस कॉन्शियसनेस हैं कारण-
बहरहाल सिगरेट पीने के ट्रेंड के बारे में नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट और डबल्यूएचओ की रिसर्च रिपोर्ट कहती है कि ज्यादातर रईस परिवारों के लोगों के बीच सिगरेट से जुड़ी बीमारियों को लेकर जागरूकता बढऩे के कारण पुरूषों में इसका ट्रेंड कम हो गया है। लेकिन इन्हीं परिवार की महिलाओं में स्मोकिंग का ट्रेंड बढ ऱहा है। जाहिर है इनके दिमाग में आजादी की भावना काम करती है या फिर स्टेटस कॉन्शियसनेस इन्हें स्मोकिंग की तरफ मोड़ देती है। यही वजह है कि सिगरेट बनाने वाली कंपनियां महिलाओं को ध्यान में रखते हुए सस्ती लाइट सिगरेट बाजार में लेकर आ रही हैं।
लंबे कश से हो रही हैं एनसीडी की शिकार-
डबल्यूएचओ की हेल्थ रिपोर्ट ये भी कहती है कि लाइट सिगरेट बनाने वाली कंपनियां इस बात को साबित करने में कामयाब हुई हैं कि इसमें टार या निकोटिन की मात्रा न के बराबर होती है। इससे होठों की खूबसूरती को कोई खतरा भी हीं है। तो दूसरी तरफ स्वास्थ के लिहाज से भी ये कम नुकसानदायक होती हैं। इतना ही नहीं लाइट सिगरेट को सेफ मानकर ये ज्यादा लंबा कश ले रही हैं। इसी के चलते नुकसान की मात्रा कहीं से भी कम नहीं होती। इसी के चलते महिलाएं नॉन-कमयूकेबल डिसीज यानि एनसीडी की शिकार हो रही हैं। डबल्यूएचओ के अनुसार दुनिया में हर साल पचास लाख लोग सिगरेट के कारण मरते हैं, जिसमें 15 लाख महिलाएं होती हैं। 2040 तक सिगरेट पीकर मरने वालों की तादाद 80 लाख तक जा सकती है। जिसमें से 25 लाख महिलाओं की भागीदारी होगी।, ciggr
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