देश की बेटी ने दिलाई 111 बाल मजदूरों को आजादी
राजकोट। गुजरात के अहमदाबाद की रहने वाली एक 22 वर्षीय छात्रा झरना जोशी ने ऐसा काम कर दिखाया जिसे करना सरकारी संस्थाओं की जिम्मेदारी थी। अहमदाबाद की रहने वाली झरना जोशी हिम्मतनगर के एक कॉलेज में बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की छात्रा हैं। झरना ने एक स्टिंग ऑपरेशन की मदद से 111 बाल श्रमिकों को आजादी दिलवाई है। इन सभी बाल श्रमिकों से मोरबी के एक सेरामिक यूनिट में जबरदस्ती काम कराया जाता था। इन बाल श्रमिकों (बच्चों) में 100 लड़कियां भी शामिल थीं। इन सभी बच्चों को शुक्रवार को वहां से आजाद कराया गया।
अधिकारियों का कहना है कि सौराष्ट्र क्षेत्र में बाल मजदूरों की रिहाई का यह आजतक का सबसे बड़ा मामला है। यहां बाल श्रमिक बच्चों से सेरामिक, गोल्ड ज्वेलरी आदि उद्योग में मजदूरी कराई जा रही थी। झरना ने बताया कि ’ मैं अपनी छुट्टियां बिताने के लिए अप्रैल महीने के पहले हफ्ते में अपने कजन के घर मोरबी गई थी। वहां पर एक सुबह मैंने देखा कि बहुत सारे बच्चों को एक बस में भरकर कहीं ले जाया जा रहा है। वे सभी बसें स्कूल की नहीं थी इसी कारण मुझे उस पर शक हुआ। मैनें तुरंत उन बसों का पीछा किया, जब मैं उन बसों का पीछा कर रही थी तो मैंने देखा की वे सभी बसें एक कारखाने में ले जाई जा रही थीं।
फिर मैंने इस बात का पता लगाने के लिए कि उस कारखाने में इन बच्चों के साथ क्या किया जाता है मैंने वहां पर नौकरी कर ली। मैंने देखा कि उस कारखानें में उन बच्चों को डरा-धमकाकर उनसे काम कराया जा रहा था। उन बच्चों को उस कारखाने के बेहद गर्म तापमान में काम करना पड़ता था और उन्हें पीने के लिए ठंडा पानी भी नहीं दिया जाता था। उन बच्चों की इस दयनीय स्थिति को देखकर मैंने इस मामले से संबंधित सरकारी विभाग में संपर्क किया, लेकिन मुझे वहां से कोई भी संतोषजनक प्रतिक्रिया नहीं मिली।
उसके बाद मैंने मुख्यमंत्री के ऑफिस में एक खत लिखा और खुद गांधीनगर जाकर वहां के अधिकारियों से मिली। इसके बाद सरकार की ओर से मुझे सहयोग का आश्वासन दिया गया। सामाजिक सुरक्षा, श्रम व रोजगार विभाग, फैक्ट्री इंस्पेक्टर और बाल सुरक्षा अधिकारी के साथ-साथ पुलिस विभाग के अधिकारियों के साथ कारखाने पर छापा मारा गया और वहां से 111 बाल मजदूरों को आजाद कराया गया।
राजकोट के सामाजिक सुरक्षा अधिकारी करनकसिंह झाला ने इस स्टिंग ऑपरेशन का पूरा श्रेय झरना को देते हुए कहा कि झरना को इस साहसिक कदम के लिए पुरस्कार दिया जाना चाहिए। इस पूरे मामले के बाद भी अबतक आरोपी कारखाने के किसी भी अधिकारी की कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी है।
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