आज भी ज़िंदा है 5 हजार साल पुरानी महाभारत का ये किरदार
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महाभारत में एक ऐसा योद्धा भी था जो अकेले के ही दम पर संपूर्ण युद्ध लड़ने की क्षमता रखता था। कौरवों की सेना में एक से एक योद्धा थे। पांडवों की सेना हर लिहाज से कौरवों की सेना से कमज़ोर थी लेकिन फिर भी कौरव हार गए। महाभारत युद्ध के बाद जीवित बचे 18 योद्धाओं में से एक अश्वत्थामा भी थे। अश्वत्थामा को संपूर्ण महाभारत के युद्ध में कोई हरा नहीं सका था। वे आज भी अपराजित और अमर हैं।
वे कौरव और पाण्डवों के गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र थे। उन्होंने महाभारत के युद्ध में कौरवों की ओर से युद्ध किया था। लेकिन एक गलती के कारण इन्हें दुनिया खत्म होने तक अमर रूप में धरती पर भटकने का शाप मिला था।
अश्वत्थामा को दुनिया खत्म होने तक भटकने का शाप देने वाले भगवान श्री कृष्ण थे। यह शाप श्री कृष्ण ने इसलिए दिया क्योंकि इन्होंने पाण्डव पुत्रों की हत्या उस समय की थी जब वह सो रहे थे। इन्होंने ब्रह्मास्त्र से उत्तरा के गर्भ को भी नष्ट कर दिया था। गर्भ में पल रहे शिशु की हत्या से क्रोधित होकर श्री कृष्ण ने अश्वत्थामा को भयानक शाप दिया। अश्वत्थामा के इस घोर पाप का अनुचित लेकिन एक बड़ा कारण था।
महाभारत के युद्ध में द्रोणाचार्य का वध करने के लिए पाण्डवों ने झूठी अफवाह फैला दी कि अश्वत्थामा मर चुका है। इससे द्रोणाचार्य शोक में डूब गए और पाण्डवों ने मौका देखकर द्रोणाचार्य का वध कर दिया। अपने पिता की छल से हुई हत्या का बदला लेने के लिए अश्वत्थामा ने पाण्डव पुत्रों की हत्या की।
पाण्डवों की हत्या के बाद जब अश्वत्थामा भागे तब भीम ने उनका पीछा किया और अष्टभा क्षेत्र जो वर्तमान में गुजरात और महाराष्ट्र की सीमा के पास स्थित है। यहां दोनों के बीच गदा युद्ध हुआ। यहां भीम की गदा जमीन से टकराने के कारण एक कुण्ड बन गया है। पास ही में अश्वत्थाम कुंड भी है। यहां लोग मानते हैं कि आज भी रात के समय अश्वत्थामा मार्ग से भटके हुए लोगों को रास्ता दिखाते हैं।
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