राष्ट्रगान को लेकर फिर बदली सुप्रीम कोर्ट की राय
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रगान को लेकर एक ऐतिहासिक फ़ैसला दिया था। अपने फ़ैसले में कोर्ट ने कहा था कि सिनेमा हॉल में फ़िल्म से पहले राष्ट्रगान बजाया जाएगा। इस दौरान हॉल में मौजूद सभी लोगों को राष्ट्रगान के सम्मान में खड़ा होना होगा। कोर्ट के इस फ़ैसले को अमल में भी लाया गया है। लेकिन मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर इस फ़ैसला पर अपनी राय को बदल ली।
अपने ही फ़ैसले पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान बजने पर लोग खड़े होने के लिए बाध्य नहीं हैं। कोर्ट ने इस मुद्दे पर असमंजस को साफ़ करते हुए बताया कि यदि फ़िल्म के पहले राष्ट्रगान बजता है तो लोगों को खड़ा होना जरूरी है लेकिन यदि राष्ट्रगान फ़िल्म या डॉक्युमेंट्री के बीच में किसी सीन के दौरान बजता है तो फिर यह दर्शक इस दौरान खड़े होने के लिए बाध्य नहीं हैं। हालांकि इस के साथ ही कोर्ट ने कहा है कि इस मुद्दे पर अभी और बहस की ज़रूरत है।
ग़ौरतलब है कि 30 नवम्बर 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के सभी सिनेमाघरों को फ़िल्म शुरू करने से पहले राष्ट्रगान बजाने का निर्देश दिया था। कोर्ट के फ़ैसले के मुताबिक फ़िल्म के पहले राष्ट्रगान स्क्रीन पर तिरंगा दिखाया जाएगा। कोर्ट ने ये निर्देश एक जनहित याचिका की सुनवाई के बाद दिए है। इस जनहित याचिका को श्याम नारायण चौकसे की ओर से दायर किया था। याचिका के ज़रिए चौकसे ने मांग की राष्ट्रगान को सरकारी समारोहों और कार्यक्रमों में गाने के बारे में उचित नियम और प्रोटोकॉल तय होने चाहिए। उस समय कोर्ट ने आदेश देते हुए अगली सुनवाई के लिए 14 फरवरी तक का समय दिया था।
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