EU से अलग होना ही बेहतर, ब्रिटीश जनता का फैसला
पूरी दुनिया की नजरे ब्रिटेन के यूरोपीय संघ में रहने या ना रहने पर टिकी हुई थी आखिर वो फैसला ब्रिटेन की जनता ने ले ही लिया कि ब्रिटेन को यूरोपीय संघ में रहना चाहिए या नही। जनमत संग्रह द्वारा किए इस फैसले में ब्रिटेन की जनता ने यही निर्णय लिया है कि ब्रिटेन का यूरोपियन संघ से बाहर निकल जाना ही ठीक है।
43 साल बाद इस ऐतिहासिक जनमत संग्रह में ब्रिटेन की जनता ने मामूली अंतर से ब्रिटेन को यूरोपियन यूनियन से अलग करने के पक्ष में वोट किया है। ईयू छोड़ने के पक्ष में 52 प्रतिशत और इसके खिलाफ 48 प्रतिशत लोगों ने वोट किया है। लंदन और स्कॉटलैंड ने यूरोपियन यूनियन में रहने के पक्ष में मतदान किया था। लेकिन उत्तरी इंग्लैंड में लोगों ने ईयू से अलग होने के पक्ष में मतदान किया है।
खतरें में डेविड कैमरन
इस चुनाव के नतीजे आने का यह मतलब नहीं है कि ब्रिटेन अभी से यूरोपियन संघ से बाहर हो गया हैं। अभी इस प्रक्रिया को पूरा होने में लगभग दो साल लगेंगे तब तक ब्रिटेन ईयू का ही हिस्सा रहेगा। कहा जा रहा है कि 2020 से पहले ये संभव नहीं है। तब ब्रिटेन में आम चुनाव भी आ जाएंगे। लेकिन इन चुनावों में प्रधानमंत्री डेविड कैमरन के लिए मुसीबत हो सकती हैं।
इकोनॉमी पर भारी असर
ब्रिटेन के ईयू से हटने की आशंका के कारण ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था में काफी उतार आया है। इस बात की शंका के चलते ब्रिटेन की करंसी पाउंड डॉलर के मुकाबले कमजोर होने लगा था। नतीजे आने के बाद तो इसमें और भी ज्यादा गिरावट आई है। ब्रिटेन में ईयू विरोधी और पक्षधर में पहले कांटे की टक्कर थी। शुक्रवार को जनमत संग्रह के वोटो की गिनती शुरू हुई और सारी तस्वीर साफ होती नजर आई। ब्रिटेन के इस फैसले का असर पूरी दुनिया में देखने को नजर आ रहा है। इंडियन शेयर मार्केट में भी इसका असर देखा गया हैं। यहां रूपयें में भारी गिरावट हुई है।