अनोखा है इन बाबा के साधना करने का ढंग
उज्जैन सिंहस्थ में निम्बार्क संप्रदाय के संत रोज कमर में 10 किलो वजनी लकड़ी की काठ बांधकर साधना करते हैं। संतो के मुताबिक काठ कमर में बंधी होने से नींद, भोजन आदि की जरूरत बेहद सीमित रहती है। यह प्रथा आठ पीढिय़ों से जारी है। मंगलनाथ जोन में मनोहरदास काठिया बाबा खालसा के महंत त्यागी ने बताया कि निम्बार्क संप्रदाय के संत पूरे समय काठ पहनते हैं। इसे अखंड साधना के रूप में एक बार कमर पर धारण करने के बाद इससे जीवनकाल तक पहनना होता है। इस संप्रदाय के क्षेत्र में रहने वाले इंद्रदास काठियाबाबा ने हजारों साल पहले काठ साधाना शुरू की थी।
काठ ही लंगोट भी-
काठिया बाबा ने आंठवी पीढ़ी में भी इसे जारी रखा है। दरअसल, इसका मकसद आरामदायी जीवन त्यागकर साधना करना है। संप्रदाय के संतो ने बताया कि निम्बार्क संप्रदाय के कपड़े की लंगोट न पहनते हुए लकड़ी की काठ पहनते हैं।
देह त्यागने पर ही उतारते हैं-
कमर मे पहनी जाने वाली लकड़ी , लोहे व पीतल से बनी काठ 8 से 10 किलो वजन की रहती है। किसी संत द्वारा धरण की जाने वाली काठ उनके देह त्यागने के बाद ही उतारी जाती है।
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