वर्ल्ड मेन्टल हेल्थ डे के मौके पर जानिए मानसिक रोग के कारण और बचने के उपाय
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कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद नंदिनी नौकरी की तलाश में एक कंपनी में इंटरव्यू के लिए जाती है। लेकिन वो इस इंटरव्यू को पार नहीं कर पाती है। नंदिनी एक बार और कोशिश करती है। इस बार वो और तैयारी के साथ दूसरी कंपनी में इंटरव्यू के लिए जाती है। किसी कारणवश नंदिनी का इस इंटरव्यू में भी सिलेक्शन नहीं हो पाता है। कंपनी में सिलेक्शन नहीं होने से नंदिनी टूट जाती है। अचानक से उसके व्यवहार में बदलाव नज़र आने लगता है। अब तक दोस्तों के साथ हंसी ठिठोली और मस्ती मजाक करने वाली नंदिनी अब पूरी तरह बदल चुकी थी। बात-बात पर गुस्सा करना, किसी की बात न सुनना, अकेले रहना जैसे गुण नंदिनी में आने लगे। एक समय के बाद नंदिनी को मनोचिकित्सक को दिखाना पड़ा। शुक्र है कि अब वो ठीक है।
वैसे, दोस्तों ये हाल सिर्फ़ नंदिनी का ही नहीं बल्कि उसकी उम्र के लगभग हर युवक-युवती की यही हालत है। छोटी-छोटी बात पर हताश हो जाना, नेगेटिव विचार आना जैसी कई समस्याएं आज युवाओं में होना आम बात है। भले ही आज हम इतना आगे निकल रहे हों लेकिन दिन पर दिन कहीं न कहीं हमने ख़ुद मुसीबतों को अपने पास आने का न्योता दिया है। आज 10 अक्टूबर को वर्ल्ड मेन्टल हेल्थ डे के मौके पर चलिए एक कदम बढ़ाए ख़ुद को मेन्टली तौर पर स्वस्थ रखने के लिए।
सबसे पहले आपको बताते हैं कि मानसिक रोगों को कैसे पहचानते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जब एक व्यक्ति ठीक से सोच नहीं पाता, उसका अपनी भावनाओं और व्यवहार पर काबू नहीं रहता, तो ऐसी हालत को मानसिक रोग कहते हैं। मानसिक रोगी आसानी से दूसरों को समझ नहीं पाता और उसे रोज़मर्रा के काम ठीक से करने में मुश्किल होती है। किसी को मानसिक रोग होने का कारण यह नहीं कि उसमें कोई दोष है। मानसिक रोग के लक्षण, हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं। ये इस बात पर निर्भर करते हैं कि उसके हालात कैसे हैं और उसे कौन-सी मानसिक बीमारी है। कुछ लोगों में इसके लक्षण लंबे समय तक रहते हैं और साफ़ नज़र आते हैं, जबकि कुछ लोगों में ये लक्षण थोड़े समय के लिए ही होते हैं और दिखाई भी नहीं देते हैं।
मानसिक रोग होने के कारण क्या है?
मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने के कई कारण हो सकते हैं। जैसे-
– घर परिवार में तनावपूर्ण माहौल का होना
– ज्यादातर समय सोशल मीडिया पर बिताना।
– ज्यादा समय तक अकेले रहना
– ऑफिस में काम का बोझ ज्यादा होने से लगातार काम में लगे रहना
– साथियों का दबाव, आत्म-सम्मान में कमी, परिवार में मृत्यु या तलाक।
– दुर्घटना, चोट, हिंसा एवं बलात्कार से मनोवैज्ञानिक आघात होना।
– आनुवंशिक असामान्यताएं।
– मस्तिष्क की चोट
– अल्कोहल एवं ड्रग्स जैसे मादक पदार्थों का सेवन।
ऐसे लड़ें मानसिक रोगों से
-ऐसा नहीं है कि इन रोगों का इलाज नहीं करवाया जा सकता। समय रहते यदि छोटी-छोटी आदतों में बदलाव करते हैं तो आप इन रोगों से आसानी से लड़ सकते है।
-रोज़मर्रा के कामों में संतुलन बनाकर चलिए। कभी बहुत ज़्यादा काम तो कभी बहुत कम काम मत कीजिए। जितना हो सके शरीर को चुस्त रखने वाले काम कीजिए।
-भरपूर नींद लीजिए। सही मात्रा में पौष्टिक भोजन लीजिए।
-पूरे दिन में से ख़ुद के लिए थोड़ा वक्त निकालिए। इस समय में अपना मनपसंद काम कीजिए। चाहें तो आप म्यूजिक भी सुन सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे कि आप ऐसे गाने ही सुनें जो आपके मूड को ठीक कर सकें। ऐसे गाने सुनने से बचें जो आपको उदास करते हैं।
-अकेले मत रहिए बल्कि उन लोगों के साथ समय बिताइए जिन पर आपको भरोसा है और जो आपकी परवाह करते हैं। यदि आप पढ़ने में रूचि रखते हैं तो कोई अच्छी-सी किताब पढ़िए। वैसे भी किताबों को तो हमारा सबसे अच्छा दोस्त माना जाता है।
-भले ही आपको पढ़ने में अजीब लगे लेकिन ईश्वर को याद करने से, उसका ध्यान करने से भी आप काफ़ी हद तक तनाव को कम कर सकते हैं। संभव हो तो धार्मिक कहानी-किस्से सुनें इससे भी मन हल्का होता है।
-यदि अपनी दिनचर्या बदलने पर भी आपको कोई फायदा नहीं हो रहा है तो ज़रूरी है कि आप डॉक्टर के पास अपना इलाज करवाएं।
क्यों मनाते हैं वर्ल्ड मेन्टल हेल्थ डे ?
हर साल 10 अक्टूबर को वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (विश्व स्वास्थ्य संगठन) और वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ मेन्टल हेल्थ (विश्व मानसिक स्वास्थ्य महासंघ) द्वारा वर्ल्ड मेन्टल हेल्थ डे मनाया जाता है। इसे मनाने का उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित बीमारियों के बारे में लोगों को जागरूक करना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व भर के 350 मिलियन से अधिक लोग मानसिक बीमारी से ग्रस्त हैं।
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