इस देश में गरीब भी थे अरबपति, करोड़ों डॉलर में खरीदते थे फल और सब्जियां
इस महंगाई के बढ़ने का कारण यहां की सरकार ही हैं। दरअसल यहां की सरकार के पास अच्छी पॉलिसी की कमी रही, उन्होंने बिना किसी प्लानिंग के नोट छाप दिए और जनता में बांट दिए। इससे हुआ ये कि सबके पास पैसा हो गया और ये मार्केट से हर चीज़ लेने में सक्षम हो गए। मार्केट में भी फिर चीज़ों के दाम आसमान छूने लगे।
1980 से लेकर 2009 तक जिम्बॉब्वे की करंसी जिम्बाबवियन डॉलर थी। जिसे सरकार ने बिना सोचे-समझे छाप कर जनता में बांट दिया था। जब यहां महंगाई बढ़ी तो सरकार ने यहां दूसरी करंसी का उपयोग करना शुरू किया। फिलहाल इस देश में कई सारी करंसी का यूज हो रहा है जैसे जापानी येन, चाइनीज़ युआन, ऑस्ट्रेलियाई और यूएस डॉलर।
इस देश में प्रयास किया जा रहा है कि इस देश की करंसी को पूरी तरह बंद कर एक नई करंसी जारी की जाए। इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड ने भी कई देशों के साथ मिलकर सुझाव दिया है कि जिम्बॉब्वे खुद की नई करंसी जारी कर एक नई शुरूआत करे। किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए उसकी सरकार पूरी तरह जिम्मेदार होती है। देश में किस तरह मनीफ्लो करना है इसकी पूरी प्लानिंग उसकी सरकार के पास होना चाहिए अन्यथा ऐसे परिणाम देखने को मिल सकते है।
भारत में भी सरकार हर दो महीने में कुछ न कुछ बदलाव करती ही रहती है अगर महंगाई बढ़ रही हैं तो उसे बैलेंस करती है और कम हो रही हैं तो उसे थोड़ा बढ़ाती है लेकिन एक दम से इतना किसी भी देश में नहीं किया जा सकता। भारत में महंगाई की दर साल दर साल बढ़ती है क्योंकि यह किसी भी देश की ग्रोथ के लिए जरूरी है।
जिम्बॉब्वे में भी महंगाई की दर बढ़ी लेकिन इतनी बढ़ी कि लोग और सरकार दोनों परेशान हो गए। सही मायने में देखा जाए तो महंगाई की दर अगर धीरे-धीरे बढ़ती है तो देश की जनता भी इसे स्वीकारती है क्योंकि उसके पास इस महंगाई से निपटने के साधन होते है लेकिन इतनी ज़्यादा महंगाई हो जाने पर आपके पास चाहे कितना भी पैसा हो उसकी वैल्यू कम हो जाती है।
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