दिल्ली हाईकोर्ट का अहम फैसला, अब नहीं लगेगा किताबों की फोटोकॉपी पर बैन
अब दिल्ली यूनिवर्सिटी के स्टूडेन्ट्स को महंगी किताबें नहीं खरीदना पड़ेगा। अब वे फिर से किताबों की फोटोकॉपी खरीद सकेंगे। तीन विदेशी प्रकाशकों की याचिका को खारिज करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। दरअसल 20 सालों से दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में फोटोकॉपी की शॉप चल रही थी। लेकिन तीन अंतरराष्ट्रीय प्रकाशकों ने डीयू की फोटोकॉपी शॉप के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में इस बात का जिक्र किया गया था कि डीयू में स्थित रामेश्वर फोटोकॉपी सर्विस द्वारा उनकी किताबों का फोटोस्टेट कर छात्रों को बेचा जा रहा है। ऐसा करना कॉपीराइट का उल्लंघन है। इसके साथ ही उन्होंने डीयू के अंदर फोटोकॉपी की बिक्री पर रोक लगाने की मांग की थी। इसके बाद साल 2012 में अदालत ने इस फोटोकॉपी की शॉप को बंद करने का आदेश दिया था। लेकिन अब कोर्ट ने अपने फैसले में किताबों की फोटोकॉपी पर से लगा प्रतिबंध हटा दिया है।
कॉपीराइट कानूनों पर होगा बड़़ा असर
कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि किताबों की फोटोकॉपी करने से कॉपीराइट का उल्लंघन नही होता है। कॉपीराइट का मतलब है किसी चीज को पूरी तरह अपने अधिकार में कर लेना नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि कॉपीराइट एक्ट ज्ञान को बढ़ावा देने की दिशा में एक सकारात्मक कानून है। इस एक्ट का मकसद ज्ञान के विस्तार में बाधा डालना क़तई नहीं है। पीठ ने आगे कहा कि किताब के महत्वपूर्ण भाग का फोटोस्टेड करना कॉपीराइट का उल्लंघन नहीं है। यदि छात्रों को फोटोस्टेट कराने की इजाजत नहीं दी गई तो उन्हें लंबा समय लाइब्रेरी में बैठकर केवल नोट्स बनाने पर ही व्यर्थ करना पड़ेगा। कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले से अब कयास लगाए जा रहे है कि इसका भारत के कॉपीराइट कानूनों पर व्यापक असर पड़ेगा।
बता दें कि फोटोकॉपी की इस दुकान से स्टूडेन्ट्स को कॉलेज की तरफ से स्टडी मटेरियल दिया जाता था। इसे एक सिलेबस के आधार पर तैयार किया जाता था। इसमें अलग-अलग प्रकाशकों की किताबों के चैप्टर को समाहित किया जाता था। इससे छात्रों को पढ़ाई के साथ ही महंगी किताबें खरीदने में भी सहूलियत मिलती थी।