कांग्रेस का हाथ थामते ही बदले सिद्धू के सूर
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क्रिकेटर से नेता बने नवजोत सिंह सिद्धू ने रविवार को बीजेपी का साथ छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया। पार्टी बदलने के साथ ही सिद्धू के बोल भी बदल गए। उन्होंने बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं पर जमकर हमला बोला। जहां सिद्धू ने ख़ुद को पैदायशी कांग्रेसी बताया तो वहीं बातों ही बातों में बीजेपी का बिना नाम लिए उसे कैकेयी जैसी मां कह दिया। सिद्धू यहीं नहीं रूके उन्होंने वरिष्ठ नेता अरुण जेटली को भी निशाने पर लिया। इशारों ही इशारों में सिद्धू ने जेटली के लिए मंथरा शब्द का इस्तेमाल किया।
ये कहा सिद्धू ने
बीजेपी पर कटाक्ष और चुटकियां लेते हुए सिद्धू ने कहा कि, ”मैं पैदायशी कांग्रेसी हूं। मैं अपनी जड़ों में लौट आया हूं। मेरे पिता सरकार भगवंत सिंह सिद्धदू कांग्रेस में 40 साल रहे, एमएलए बने, एमएलसी बने। उन्हें सजा-ए-मौत दी गई थी। ये मेरी घरवापसी है।”
बता दें कि पंजाब की राजनीति में बड़ी भूमिका न मिलने की वजह से सिद्धू ने बीजेपी छोड़ दी थी। इसी बीच कयास लगाए जा रहे थे कि वह आम आदमी पार्टी के साथ जुड़ जाएंगे। लेकिन सारी अटकनों और कयासो को झूठा करार देते हुए सिद्धू ने रविवार को औपचारिक तौर पर कांग्रेस पार्टी ज्वॉइन कर ली। इसके साथ ही उन्होंने साफ कर दिया कि अब वह पंजाब चुनाव में अमृतसर ईस्ट विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे। बता दें कि इस सीट से अभी उनकी पत्नी नवजोत कौर विधायक हैं।
बादल पर बरसे सिद्धू
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सिद्धू ने पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल पर भी तंज कसा। उन्होंने कहा, ‘भाग बादल भाग, जनता आती है। बादल को कुर्सी खाली करनी होगी।’ सिद्धू ने आगे कहा कि, ‘आज पंजाब की स्थिति ये है कि इसकी दुर्गति पर फ़िल्में बन रही हैं। मैं हैरान हूं कि किसी ने नहीं कहा कि ड्रग्स पंजाब की सच्चाई है। ये किसी और राज्य में नहीं है। जो पंजाब हरित क्रांति के लिए जाना जाता था, आज सफेद चिट्टे (ड्रग्स) के लिए जाना जाता है। हम ड्रग्स के ख़िलाफ़ सख़्त कानून बनाएंगे, मैंने राहुल भाई से बात की है।’ इसके साथ ही सिद्धू ने कहा कि, ‘देश को रोटी देने वाला पंजाब आज कर्ज़ में डूबा हुआ है।’
मजबूत होगी कांग्रेस पार्टी
बता दें कि अब तक सिद्धू कांग्रेस पर लगातार जमकर हमला बोलते आए हैं। लेकिन अब सिद्धू ने कांग्रेस ज्वाइन कर काफ़ी हद तक पंजाब के राजनीतिक समीकरण को प्रभावित किया है। इसका कारण यह है कि बीजेपी छोड़ने के बाद भी ज़्यादातर लोग सिद्धू का समर्थन ही कर रहे हैं।
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