शिक्षकों को शैक्षणिक प्रणाली में निभानी होगी प्रधान भूमिका : राष्ट्रपति
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शिक्षा के स्तर को मजबुत करने के उद्देश्य से कहा कि सिर्फ कानून लागू करना ही नहीं, बल्कि सुविधाओं से वंचित बच्चों के लिए और अधिक काम किए जाने की जरूरत है। आज के दौर में शिक्षा के लिए सही तरह का बुनियादी ढांचा बनाए जाने की जरूरत है। राष्ट्रपति भवन में साल 2016 के लिए 15 शिक्षकों को मालती ज्ञानपीठ पुरस्कार समारोह में उन्होंने यह बात कही।
शिक्षा प्रणाली है आधारशिला
उनके अनुसार केवल सरकार की कोशिशें इस शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाने के लिए पर्याप्त नहीं है। शिक्षकों को भी एक समग्र शैक्षणिक प्रणाली में प्रधान भूमिका निभानी होगी। एक अच्छी स्कूल प्रणाली तभी संभव है जब अच्छी गुणवत्ता वाले शिक्षक पेशे के प्रति समर्पित हों। शिक्षकों को सुनिश्चित करना होगा कि शैक्षणिक प्रक्रिया अब कक्षा आधारित शिक्षा तक सीमित नहीं बनी रहें। मुखर्जी ने कहा, भारत में, हमने 14 साल की उम्र तक के बच्चों को अनिवार्य शिक्षा का अधिकार देने के लिए कानून लागू किया है। सतत विकास के लिए एक अच्छी शिक्षा प्रणाली आधारशिला है जो समाज में शांति और सौहार्द में तब्दील होती है।
स्कूलों पर है जिम्मेदारी
राष्ट्रपति के अनुसार स्कूलों के पास अगली पीढ़ी के वैज्ञानिकों, इंजीनियर, डॉक्टर, नीति निर्माताओं, विद्धानों और नौकरशाहों की नई पीढ़ी की आधारशिला रखने की जिम्मेदारी है। सक्षम और प्रेरित शिक्षकों का एक समूह अपनी सामूहिक कोशिशों से मजबूत मस्तिष्क वाले और जांबाज लोगों का एक समाज बना सकता है।
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