ट्रंप ने लगाया चाइना प्रेसीडेंट को फोन, कहा वन चाइना पॉलिसी की करते है रिस्पेक्ट
अमेरिका के नव निर्वाचित प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रंप प्रेसीडेंट बनने से पहले ही काफी चर्चाओं में है। उनकी पॉलिसी, उनका अंदाज़ सब निराला है। प्रेसीडेंट का पद संभालते ही उन्होंने पूरी दुनिया को बता दिया कि यूएस का प्रेसीडेंट क्या कर सकता हैं। खैर ये तो उनका अपना मामला है हाल ही में उन्होंने पहली बार प्रेसीडेंट पद पर रहते हुए चाइना के प्रेसीडेंट से बात की। जिसमें कुछ ख़ास बातें सामने आई हैं…
यूएस प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने गुरूवार को फोन पर चाइना प्रेसीडेंट शी जिनपिंग से बात की और कहा कि ‘‘अमेरिका चीन की वन चाइना पॉलिसी की रिसपेक्ट करता है।’’ फोन पर दोनों ने कई मुद्दों पर चर्चा की। ट्रंप की ये फोन कॉल दोनों देशों के बीच बढ़ रहे तनाव को कम करने की कोशिश के रूप में देखी जा रही है।
क्या है वन चाइना पॉलिसी
इस फोन कॉल में ट्रंप ने ‘वन चाइना पॉलिसी’ की रिस्पेक्ट करने की बात कही। वहीं पहले ट्रंप ने इस पॉलिसी को लेकर सवाल खड़े किए थे। वन चाइना पॉलिसी का मतलब उस नीति से है, जिसके मुताबिक ‘चीन’ नाम का एक ही राष्ट्र है और ताइवान अलग देश नहीं, बल्कि उसका प्रांत है। साल 1949 में ‘पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ बना था जिसे आमतौर पर चीन कहा जाता है। इसके तहत मेनलैंड चीन और हांगकांग-मकाऊ जैसे दो विशेष रूप से प्रशासित क्षेत्र आते है।
दूसरी तरफ ‘रिपब्लिक ऑफ चाइना’ है, जिसका साल 1911 से 1949 के बीच चीन पर कब्जा था लेकिन अब उसके पास ताइवान और कुछ द्वीप समूह हैं। इसे आमतौर पर ताइवान कहा जाता है । यहां पर बात ‘वन चाइना पॉलिसी’ की आ जाती है। इस हिसाब से चाइना के दो भाग हो जाते है पहला तो पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना और दूसरा रिपब्लिक ऑफ चाइना। लेकिन वन चाइना पॉलिसी का मतलब है कि चीन सिर्फ एक राष्ट्र है दो नहीं।
वन चाइना पॉलिसी का मतलब ये है कि दुनिया के जो देश पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना यानि चीन के साथ कूटनीतिक रिश्ते चाहते है उन्हें रिपब्लिक ऑफ चाइना यानि ताइवान से सारे अधिकारिक रिश्ते तोड़ने होंगे। कूटनीतिक जगत में ये माना जाता है कि चीन एक है और ताइवान उसका हिस्सा है।
इस नीति के तहत अमरीका, ताइवान के बजाय चीन से आधिकारिक रिश्ते रखता है लेकिन ताइवान से उसके अनाधिकारिक पर मजबूत संबंध है। ताइवान खेलों में या ओलंपिक में भी कभी चीन के नाम का इस्तेमाल नहीं कर सकता। इसके कारण लंबे समय से ताइवान ‘चाइनीज ताइपे’ के नाम से शिरकत कर रहा है। वन चाइना पॉलिसी को लेकर अमेरिका का चीन का रूख स्वीकारना ही दोनों देशों के संबंधों का आधार है और चीन की तरफ से नीति-निर्माण और कूटनीति के लिए भी अहम है।
वन चाइना पॉलिसी को लेकर प्रेसीडेंट बनने से पहले डोनाल्ड ट्रंप ने सवाल खड़े किए थे लेकिन अब लगता है कि वे इसके सर्मथन में नज़र आ रहे हैं! ट्रंप की इस बातचीत से साफ तो जाहिर नहीं होता लेकिन कहा जा सकता है कि वे भविष्य में ‘वन चाइना पॉलिसी’ को सर्मथन दे सकते है। व्हाइट हाउस की ने कहा कि दोनों ने काफी दोस्ताना लहजे में बात की और कहा कि ‘‘शी जिनपिंग की रिक्वेस्ट पर ट्रम्प वन चाइना पॉलिसी की रिस्पेक्ट करने को तैयार हैं।’’ ट्रंप और जिनपिंग ने दोनों देशों की जनता को शुभकामनाएं दी। इस बातचीत के दौरान दोनों नेताओं ने एक-दूसरे के देश में मुलाक़ात का न्यौता भी दिया।
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