ऐसा कवि जिसने लिखी अपनी दाढ़ी पर कविता
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1946 में काका की कलम ने कमाल दिखाया और उनकी पहली पुस्तक ‘काका की कचहरी’ प्रकाशित हुई। इस पुस्तक में काका की रचनाओं के अतिरिक्त कई अन्य हास्य कवियों की रचनाओं को भी प्रकाशित किया गया था। काका इस पुस्तक के प्रकाशित होने से काफी प्रसिद्ध हो गए थे। उन्हें कई कवि सम्मेलनों से बुलावे आने लगे और वे कवि सम्मेलनों में प्रसिद्धी पाने लगे। काका की हास्य कविताएं तो प्रसिद्ध थी ही साथ ही उनकी दाड़ी भी काफी लोकप्रिय हो चुकी थी। उन्होंने अपनी दाड़ी की महिमा लिखते हुए कहा है कि
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