Wednesday, August 23rd, 2017
Flash

ऐसा कवि जिसने लिखी अपनी दाढ़ी पर कविता




Social

kaka-hathrasi

हिंदी साहित्य के इस संसार में बहुत सारे हास्य कवि हुए है जिन्होंने अपनी लेखनी के दम पर पाठकों को हंसाया और गुदगुदाया है। कई महान लेखकों की लेखन शैली ऐसी होती थी जिसका जवाब नहीं। ऐसे है थी हास्य कवि काका हाथरसी। 18 सितंबर 1906 को जन्मे काका हाथरसी ने अपने जन्म को लेकर ही स्वयं लिखा है कि

दिन अट्ठारह सितंबर, अग्रवाल परिवार।
उन्निस सौ छः में लिया, काका ने अवतार।

kaka-hathrasi-2

काका हाथरसी के पुरखें गोकुल महावन से आकर हाथरस में आकर बस गए। वे हाथरस में बर्तन विक्रय का काम करते थे। 1906 में उनका परिवार प्लेग की चपेट में आ गया जिसमें उनके पिता की मौत हो गई। पिता की मौत के बाद उनका परिवार उनके मामा के साथ इगलास में रहने लगे। लेकिन माँ का मन वहां नहीं लगा वे वापस हाथरस में अपने ही मकान में आ पहुंचे। आर्थिक गुजारे के लिए उनके मामा आठ रूपए प्रतिमाह भेजते थे। उस समय काका छोटे थे। जब वे दस साल के हुए थे उनके मामा उन्हें अपने साथ इगलास ले गए और उनकी पढ़ाई पूरी करवाई। पढ़ाई पूरी होने के बाद 6 रूपए प्रतिमाह की पहली नौकरी मिली। जहां पर उन्हें बोरियों व उनके वजन का हिसाब रखना होता था।

Next Slide पर पढ़े काका की दाढ़ी की कविता

Sponsored



Follow Us

Youthens Poll

‘‘आज़ादी के 70 साल’’ इस देश का असली मालिक कौन?

Young Blogger

Dont miss

Loading…

Subscribe

यूथ से जुड़ी इंट्रेस्टिंग ख़बरें पाने के लिए सब्सक्राइब करें

Subscribe

Categories