नोट छपाई से लेकर सप्लाई तक सेना के जवान कर रहे मदद, चौबीसों घंटे हो रहा काम
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नोटबंदी हुए 22 दिन बीत चुके है कई लोगों के नोट बदले जा चुके है लेकिन देश के सामने अब एक कठिनाई भरा समय आ गया है। ये कठिनाई है आपकी सैलरी को कैश में कनवर्ट करने की। हालांकि इस कठिनाई को दूर करने के लिए सरकार दिन-रात एक कर रही है लेकिन क्या देश की जनता अपनी सैलरी को कैश के रूप में इस महीने अपने हाथों में देख पाएगी, ये अभी भी एक प्रश्न ही बना हुआ है। इस प्रश्न का जवाब हम आपको नहीं दे सकते लेकिन इस जानकारी को पढ़कर आप खुद ही इसके जवाब का अंदाज़ा लगा सकते है।
फिलहाल देश में कैश कि किल्लत है, कैश के लिए जनता लाइन में लगी हुई है लेकिन सरकार और नोटप्रेस मिलकर ऐसा काम कर रही है जिसे आप सुनकर हैरान रह जाएंगे। आमतौर पर लोग आठ घंटे की ड्यूटी कर थक हार कर घर पहुंच रहे है लेकिन बैंक नोट प्रेस का हाल जब आप जानेंगे तो हैरान रह जाएंगे।
इस समय हर इंसान अपनी सैलरी निकालना चाहता है ऐसे में सरकार को इस बात का पूरा ध्यान है कि देश में कैश की कमी न हो इसलिए सरकार पूरी मेहनत करके चौबीस घंटे नोट छाप रही है। इस काम में आर्मी के जवानों और एयरफोर्स भी अपना पूरा सहयोग कर रही है। दिन-रात तीनो शिफ्ट में देश से कैश की किल्लत मिटाने के लिए काम हो रहा है।
चौबीस घंटे काम कर रहे जवान
बैंक नोट प्रेस में जहां बैंक के कर्मचारी पूरी मेहनत से काम कर रहे है वहीं इस काम में देश के लगभग 200 जवानों की मदद भी ली जा रही है। जवान पेपर को मशीन तक पहुंचाने, उसे मशीन में लोड करने, पैकेजिंग करने, लोडिंग और अनलोडिंग जैसे कई कामों में अपना योगदान दे रहे है।
तीन शिफ्ट में चौबीस घंटे काम
सेना के जवान जहां नोट के प्रोडक्शन का काम देख रहे है वहीं वे सुरक्षा व्यवस्था भी संभाल रहे है। देश की कई प्रेस में 24 घंटे तीन शिफ्ट में काम कराया जा रहा है। जिसमें लोग 24 घंटे काम करके ज़्यादा से ज़्यादा कैश का प्रोडक्शन कर रहे है। बताया जा रहा है कि देवास में नोट के लिए स्याही बनाने का काम भी चौबीसों घंटे चल रहा है।
नासिक में 1600 लोग कर रहे काम
नासिक की करंसी नोट प्रेस में करीब 1600 लोग तीन शिफ्ट में काम कर रहे है। यहां 500 के अलावा 100, 50, 20 और 10 के नोट भी छापे जा रहे है। यहां दिनभर में करीब 70 लाख नोट छापे जा रहे है। इस प्रेस में कागज़ होशंगाबाद से तथा स्याही देवास से मंगाई जा रही है। आपको बता दें कि नोटबंदी के दो महीने पहले ही 500 और 1000 के नोट की छपाई रोक दी गई थी।
एयरफोर्स कर रही नोट सप्लाई
ऐसा नहीं है कि नोट प्रेस सिर्फ नोट बनाने में ही मेहनत कर रही है। सैलरी मिलने के दौर से पहले यह कोशिश भी की जा रही है कि कैश को सही समय पर बैंकों में पहुचाया जाए और इसके लिए एयरफोर्स की मदद भी ली जा रही है। जानकारी के मुताबिक इंडियन एयरफोर्स के सी-130, सी-17 और एएन-32 विमानों को करंसी को सप्लाय करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
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