इंसान की ही तरह तिरंगे का भी होता है ‘अंतिम संस्कार’
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-राष्ट्रपति भवन के संग्रहालय में हीरे जवाहरातों से जड़ा हुआ एक छोटा तिरंगा बनाया गया है।
-7 अगस्त 1906 को पहली बार कलकत्ता के पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क) में तिरंगा फहराया गया था।
-29 मई 1953 में भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा सबसे ऊंची पर्वत की चोटी माउंट एवरेस्ट पर यूनियन जैक तथा नेपाली राष्ट्रीय ध्वज के साथ फहराता नजर आया था। इस समय शेरपा तेनजिंग और एडमंड माउंट हिलेरी ने एवरेस्ट फतह की थी।
-अभी जो तिरंगा फहराया जाता है उसे 22 जुलाई 1947 को अपनाया गया था। तिरंगे को आंध्रप्रदेश के पिंगली वैंकैया ने बनाया था। वैंकया ने सबसे पहले हमारे नेशनल फ्लैग में दो ही रंग शामिल किये गए लाल और हरा रंग बाद में इसमें सफेद रंग शामिल किया गया। वर्ष 1963 में पिंगली की मौत हो गई थी। मौत के 46 साल बाद डाक टिकट जारी करके उनको यह सम्मान दिया गया।
-भारत की आजादी से पहले तिरंग में अशोक चक्र की जगह चरखा हुआ करता था।
-भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को विदेशी धरती पर सबसे पहले भीखाजी खामा ने लहराया था। वहीं अंतरिक्ष में पहला राष्ट्रीय तिरंगा राकेश शर्मा ने फ़हराया था।
-रांची का ‘पहाड़ी मंदिर’ भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर हैं जहां पर तिरंगा फहराया जाता हैं। 493 मीटर की ऊंचाई पर देश का सबसे ऊंचा झंडा भी रांची में ही फहराया गया हैं।
-हमारे देश में ‘फ्लैग कोड ऑफ इंडिया’ (भारतीय ध्वज संहिता) नाम का एक कानून है, जिसमें तिरंगे को फहराने के कुछ नियम-कायदे निर्धारित किए गए हैं। यदि कोई शख्स ‘फ्लैग कोड ऑफ़ इंडिया’ के तहत ग़लत तरीके से तिरंगा फहराने का दोषी पाया जाता है तो उसे जेल भी हो सकती है। इसकी अवधि तीन साल तक बढ़ाई जा सकती है या जुर्माना लगाया जा सकता है या दोनों भी हो सकते हैं।
-26 जनवरी 2002 को भारतीस ध्वज संहिता में संशोधन किया गया। इसके बाद से भारतीय नागरिक राष्ट्रीय झंडे को शान से फहरा सकते हैं।
-लोगो को अपने घरों या आफिस में आम दिनों में भी तिरंगा फहराने की अनुमति 22 दिसंबर 2002 के बाद मिली है।
-तिरंगे का इस्तेमाल किसी भी प्रकार के यूनिफॉर्म या सजावट के सामान में नहीं हो सकता है।
-भारत में बेंगलुरू से 420 किमी स्थित ‘हुबली’ एक मात्र लाइसेंस प्राप्त संस्थान हैं जो झंडा बनाने का और सप्लाई करने का काम करता हैं।
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