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संघ को कैसे जाने?
कई लोग संघ के बारे में जानना चाहते है। इनकी जानकारी इंटरनेट या किन्हीं चुनिन्दा किताबों के माध्यम से मिल तो जाती है लेकिन पूरी जानकारी से लोग अभी भी अंजान है। संघ के बारे में पढ़कर संघ को नहीं जान सकते। परम पूजनीय गुरूजी ने कहा था “गत 15 वर्षों से संघ का सरसंघचालक होने के नाते अब मैं धीरे धीरे संघ को समझने लगा हूँ।
क्या संघ समझ से परे है ?
संघ को समझना आसान भी है और मुश्किल भी है लेकिन ऐसा नहीं है कि संघ समझ के परे है। संघ को जानने का एक ही रास्ता है। हृदय में एक सकारात्मकता रखकर वास्तविक जिज्ञासा को लेकर, बिना किसी पूर्वाग्रह के श्रद्धा भक्तिपूर्ण तरीके से संघ को जानने का प्रयास करना। संघ का स्वयंसेवक यह साधना जीवन भर करता है। अर्थात संघ को जानने की जिज्ञासा लेकर, शुद्ध अंतःकरण से जो संघ का अनुभव लेते हैं, धीरे धीरे उनको संघ समझ में आने लगता है। हर दिन समझ की मात्रा बढ़ती जाती है, लेकिन अगर पूर्वाग्रह से संघ को देखेंगे तो संघ समझ में नहीं आएगा।
असल मायनों में क्या है संघ
संघ को देखना है तो लोग स्वयंसेवक को देखते हैं और साथ-साथ वो भी देखते हैं जो वो करता है और कहते हैं यही संघ है। लेकिन जिसमें से ऐसा सोच ऐसी कर्म करने की इच्छा विकसित होती है असल मायनों में वही संघ है। संघ अपने स्वयंसेवक पर विश्वास करता है वे हमारे विचार के सम्पर्क में आते हैं, हमारे विचार से चलने वाले कामों से निकलकर गये है। संघ जानता है स्वयंसेवक सोच विचार कर जो भी करेगा वो अच्छा ही होगा।
नेक्सट पेज पर पढ़ें- संघ विचार क्या है ?
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