भगवान शिव के दो पुत्र कार्तिकेय और गणेश हैं जिनका जिक्र पुराणों में किया गया है। भगवान शिव के पुत्रों के बारे में तो सभी जानते हैं लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि शिव परिवार में उनकी पुत्रियां भी शामिल हैं इस शिवरात्रि के अवसर पर हम आपको भगवान शिव की पुत्री के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका नाम’अशोक सुन्दरी’ था जो अद्वितीय खूबसूरत थी और उसका विवाह राजा निहुषा से तय हुआ था।
कहानी:-
एक बार की बात है, माता पार्वती ने भगवान शिव से पृथ्वी के सबसे सुन्दर वन में घूमने की इच्छा जताई माता पार्वती के कहने पर भगवान शिव पार्वती को नंदनवन ले आए जहां माता पार्वती ने वन में लगे कल्पवृक्ष को देखा जिसे मनोकामना पूर्ण करने वाला वृक्ष भी कहा जाता था। वृक्ष को देखकर माता को उससे इतना लगाव हो गया कि उन्होंने उस वृक्ष को कैलाश पर्वत ले जाने की बात कही शिव उस वृक्ष को पार्वती के कहे अनुसार कैलाश पर्वत ले आए और वन में उस वृक्ष को लगा दिया।
एक दिन माता पार्वती अकेली वन में घूम रहीं थी तभी उनका ध्यान कल्पवृक्ष पर गया। शिव के हमेशा ध्यान में लीन रहने के कारण अकेलापन दूर करने के लिए पार्वती ने उस वृक्ष से एक पुत्री की कामना की और इच्छा तुरंत पूरी हो गई। पुत्री का नामकरण ‘अशोक सुन्दरी’ हुआ ‘सुन्दरी’ इसलिए क्योंकि वो बेहद खूबसूरत थी। उनका विवाह चन्द्रवंशीय ययाती के पौत्र निहुषा के साथ तय हुआ था।
एक बार ‘अशोक सुन्दरी’ अपनी सहेलियों के साथ नंदवन में खेल रही थी उस वक्त वहा एक ‘हुंड’ नाम का भयंकर राक्षस आया। वह ‘अशोक सुन्दरी’ की सुन्दरता पर आकर्षित हो गया। राक्षस ने सुन्दरी के सम्मुख शादी का प्रस्ताव रख़ा जिसे सुन्दरी ने ये कहकर ठुकरा दिया कि उसका विवाह राजकुमार निहुषा के साथ तय है। राक्षस निहुषा को ढूंढने निकल गया और उसका अपहरण कर लिया उस वक़्त निहुषा काफी छोटे थे। राक्षस की दासी किसी तरह राजकुमार को बचाकर ‘ऋषि विशिष्ठ’ के आश्रम में लाई और वहीं राजकुमार बड़े हुए। बड़े होकर निहुषा ने राक्षस को ढूंढ कर उसका का वध कर दिया और भगवान शिव और माता पार्वती का आर्शिवाद लेने कैलाश पंहुचा जहां सुन्दरी और निहुषा का विवाह हो गया।