रोमन कहानी : स्तनपान कराकर बेटी ने बचाई थी पिता की जान
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इसके बाद पहले दिन जब पेरु साइमन से मिलने कालकोठरी के बाहर गई तब उसने देखा कि उसके पिता की हालत बहुत खराब है। यदि उन्हें कुछ दिन और खाना न मिला तो वे मर जाएंगे। उसे अपने पिता की चिंता सताने लगी और उसने बिना कुछ सोचे अपना स्तन उस छेद के जरिए अपने पिता की ओर बढ़ा दिया और उन्हें दूध पीने के लिए कहा। इसके बाद हर रोज़ वो ऐसा करने लगी ताकि उसके पिता कुछ दिन और ज़िंदा रह पाएं। पेरु को ऐसा करते-करते काफ़ी समय हो गया था और अब राजा को लगने लगा था कि उसका भाई कुछ ही दिन का मेहमान है लेकिन जब राजा अपने भाई से मिलने कालकोठरी गया तो उसने देखा कि उसका भाई साइमन केवल थोड़ा कमज़ोर हुआ था, मरा नहीं था। ये जानकर उसे काफ़ी आश्चर्य हुआ। अब राजा को उसकी भतीजी पर शक होने लगा था। उसे लगने लगा था कि पेरु ने साइमन पर कोई जादू-टोना किया है। इस बार राजा ने सैनिकों को आदेश दिया कि वो पेरु पर नज़र रखें।
पेरु के आने का समय होने से पहले ही सैनिक ऐसी जगह पर छुपकर बैठ गए जहां से उन्हें साइमन और पेरु दोनों दिखाई दें। अब पेरु के आने का वक्त हो चुका था। जैसे ही वो आई उसने साइमन से कुछ बातें की। इसके बाद बड़ी ही चालाकी से पेरु ने बाहर खड़े सैनिकों की तरफ पीठ करके धीरे से अपनी चोली उठाई और बूढ़े पिता को दूध पिलाने लगी। ये देखकर सैनिक हक्के-बक्के रह गए। इसके बाद सैनिकों ने साइमन के साथ-साथ पेरु को भी बंधक बनाकर कालकोठरी में डाल दिया।
राजा को जब ये बात पता चली तो उसने दोनों को राजदरबार में पेश होने का हुक्म दिया। राजदरबार में सभी दोनों की इस हरकत से काफ़ी क्रोधित हुए। उनका मत था कि साइमन और पेरु ने बाप-बेटी के रिश्ते को कलंकित किया है। इसलिए इन्हें सख्त से सख्त सजा दी जानी चाहिए लेकिन हर इंसान की सोच एक जैसी नहीं होती। एक ओर जहां दोनों को सख्त सजा दी जाने की मांग उठ रही थी वहीं दूसरी ओर कुछ लोगों का मानना था कि साइमन और पेरु ने पिता-पुत्री के पवित्र रिश्ते की अनोखी मिसाल कायम की है क्योंकि पेरु का पिता के लिए प्यार सच्चा था और वो हर हालत में अपने पिता को बचाना चाहती थी इसलिए उसने ये कदम उठाया।
देखते ही देखते इस मामले के प्रति सकारात्मक पहलू रखने वालों की संख्या बढ़ती गई और उनकी पेशी के दिन लोग राजमहल के बाहर इकट्ठा होकर राजा का विरोध करने लगे। विद्रोह के डर और जनभावनाओं का सम्मान करने के लिए राजा ने पेरु और साइमन दोनों को दण्डमुक्त कर दिया।
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