इटली की एडविग एंटोनिया से भारत की सोनिया गांधी तक का सफर
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इस समय देश में भले ही पीएम मोदी की लहर हो लेकिन एक समय ऐसा भी था जब कांग्रेस का देश में एक तरफा राज था। इस राज को चलाया पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी ने। सोनिया गांधी की ज़िन्दगी में ऐसी कई बाते है जो उनकी ज़िन्दगी को इंट्रेस्टिंग बनाती है। उनके जन्मदिन के मौके पर हम बताने जा रहे कुछ ऐसी ही बातें…
सोनिया गांधी देश की ऐसी पॉलिटिशयन है जिन्होंने विदेशी होते हुए भी देश की सत्ता संभाली। राजनीति में यूपी को राजनीति का गढ़ कहा जाता है क्योंकि यहां सबसे ज़्यादा सीटे हैं। इसी राजनीति के गढ़ से वे सांसद बनी। सोनिया गांधी का जन्म 9 दिसंबर 1946 को इटली के लुसियाना में हुआ था।
इटली की अंग्रेजी मैडम को देश के लोग उस समय बहूरिया कहते थे। वे यूपी में जब चुनाव प्रचार के लिए जाती थी तो लोग देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की बहू कहकर उन्हें सम्मान देते थे। उन्हें देखकर बजुर्गो की धुंधली पड़ी आंखों में भी देश के विकास के सपनों की चमक जाग उठती थी।
सोनिया गांधी इटली की रहने वाली है और उनका नाम एडविग एंटोनिया अलबिना मायनो था। जब उनका जन्म हुआ तो किसी ने नहीं सोचा होगा कि ये लड़की आगे चलकर भारत की कमान संभालेंगी। एडविग एंटोनिया के पिता स्टेफिनोन मायनो एक भूतपूर्व सिपाही थे। एंटोनिया की दो बहने भी है, उनका बचपन इटली के ओर्बसानों में बीता था।
इटली की एडविग एंटोनिया भारत की सोनिया गांधी बनी राजीव गांधी से शादी करके। राजीव से उनकी मुलाक़ात कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान हुई थी। दोनों के बीच प्यार हुआ और 1968 में दोनो शादी के बंधन में बंध गए। शादी के बाद सोनिया गांधी को 1983 में भारत की नागरिकता मिली थी।
जिस अध्यक्ष पद पर सोनिया गांधी को आप आज देखते है कभी उन्होंने उस अध्यक्ष पद को ठुकरा दिया था। सोनिया गांधी ने राजनीति में लंबे समय तक दूरी बनाई रखी। इससे पार्टी में गांधी परिवार के नेताओं की कमी हुई और पार्टी को 1996 में आम चुनाव हारना पड़ा। इस हार से ही पार्टी के नेताओं के समझाने पर सोनिया गांधी ने पार्टी में आने का फ़ैसला लिया। 1997 में कोलकाता में सोनिया गांधी ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण की।
साल 1999 में उन्होंने बेल्लारी, कर्नाटक और यूपी के अमेठी से लोकसभा चुनाव लड़ा। यहां पर उन्हें जीत हासिल हुई और 1999 में वे 13वीं लोकसभा में विपक्ष की नेता चुनी गई। 13वीं लोकसभा में भले ही भाजपा ने लोकसभा में अपनी जड़े जमा ली लेकिन इसी दौर में सोनिया गांधी ने आकर विपक्ष में अपनी जड़े मजबूत की।
1999 के लोकसभा चुनाव के बाद साल 2004 में फिर से लोकसभा चुनाव हुए। इस बार भाजपा के फिर से जीतने की पूरी संभावना थी। देश के अधिकतर लोग चाहते थे कि अटल बिहारी वाजपेयी पुनः प्रधानमंत्री बने। इस चुनाव में जो नतीजे सामने आए वो चौकाने वाले थे। इस चुनाव में यूपीए को 200 से ज़्यादा सीटे मिली थी। वहीं दूसरी ओर कई पार्टियों का समर्थन भी मिला था।
बीजेपी को सत्ता से बाहर करने के लिए कांग्रेस से और भी कई पार्टियां मिल गई। करीब 16 दलों ने साथ मिलकर एक गठबंधन बनाया जिसकी नेता सोनिया गांधी चुनी गई। वामपंथी दलों की मदद से सोनिया गांधी 2004 में सरकार बनाती और पीएम बनती लेकिन एनडीए के नेताओं ने उनके विदेशी होने पर सवाल उठाए। इसके बाद सोनिया की जगह डॉ. मनमोहन सिंह को पीएम बनाया गया।
सोनिया गांधी की इसी जीत के बाद कांग्रेस ने फिर से दस साल तक भारत की कमान संभाली। 2014 में देश में बीजेपी ने जीत हासिल की और सोनिया गांधी विपक्ष में आ गई। सोनिया गांधी आज भी कांग्रेस की चेयरपर्सन है और पार्टी उनके नेतृत्व में चल रही है। उनके बेटे राहुल गांधी भी पार्टी की कमान संभाल रहे है।
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