Tuesday, August 8th, 2017
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क्यों चढ़ाते हैं सूर्यदेव को जल, जानिए प्योर साइंटिफ़िक रीजन




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आपने कई बार सुबह उठकर देखा होगा कि लोग शिवलिंग को या सूर्य देव को जल चढ़ाते हैं तब सिर खुजाकर एक बात भी आपने सोची होगी कि आखिर इससे होता क्या है। कई बार तो इस पर आपने अपने पैरेंट्स या रिश्तेदारों से तीखी बहस भी की होगी लेकिन इसका कोई सार नहीं निकला होगा। लेकिन हम आपको बताने जा रहे हैं शिवलिंग और सूर्यदेव पर जल चढ़ाने की प्योर साइंटिफिक वजह…

1. कलर साइंस
इस वर्ड को पढ़कर आप सोच रहे होंगे कि आर्टिकल की शुरूआत में हमने ये क्या भारी-भरकम वर्ड पटक दिया। दरअसल इसका सीधा संबंध आपके जल चढ़ाने से है। हमारी बॉडी में रंगों का बैलेंस बिगड़ने से हमें कई रोगों के शिकार होने का खतरा रहता है। मॉर्निंग में सूर्यदेव को जल चढ़ाने से शरीर में ये रंग संतुलित हो जाते हैं, जिससे बॉडी में रज़िस्टेंस भी बढ़ता है।

2. ये तो कॉन्सट्रेशन भी बढ़ाता है
सूर्य देव को जल चढ़ाना कोई पानी की बर्बादी नहीं है। पृथ्वी का पानी वापस पृथ्वी में ही तो दे देते हैं हम लेकिन इसी बहाने हमारी एकाग्रता की क्षमता बढ़ जाती है। माना जाता है कि सूर्य नमस्कार की योगमुद्रा से कॉंसंट्रेशन पॉवर बढ़ता है और रीढ़ की हड्डी में आई प्रॉब्लम सहित कई बीमारियां अपने आप दूर हो जाती हैं। इससे आंखों की समस्या भी दूर होती है। इसके अलावा रेग्यूलर जल चढ़ाने से नेचर का बैलेंस भी बना रहता है क्योंकि यही जल, वेपोरेट होकर सही समय पर बारिश में योगदान देता है।

3. आंख और शरीर के लिए बैक्टिरियल डोज़
इसका लाभ ये है कि आंखों व शरीर को एंटी बैटीरियल डोज मिलने के साथ तरावट भी मिलती है और लंबी अवधि तक उनमें समस्या नहीं उत्पन्न होती। सूर्य नमस्कार की मुद्रा की अगर बात करें तो ये भी अपने आप में कई रोगों का इलाज़ है। इससे मस्तिष्क की एकाग्रता बढ़ने के साथ शारीरिक संतुलन सधता है और रीढ़ की हड्डियों मं विकार नहीं उत्पन्न होते।

4. शिवलिंग है न्यूक्लियर सक्रियता का स्त्रोत
अब हम बात करते हैं शिवलिंग पर जल सहित, भांग, धतूरा, बेलपत्र आदि चढ़ाने की। आपको जानकर हैरानी होगी कि शिवलिंग खुद में न्यूक्लियर रिएक्टर का सबसे बड़ा सिम्बल है। इसकी पौराणिक कथा तो ब्रह्मा और विष्णु के बीच एक शर्त से जुड़ी है। शिवलिंग ब्रह्माण्ड का प्रतिनिधि है। जितने भी ज्योतिर्लिंग हैं, उनके आसपास सर्वाधिक न्यूक्लियर सक्रियता पाई जाती है। यही कारण है कि शिवलिंग की तप्तता को शांत रखने के लिए उन पर जल सहित बेलपत्र, धतूरा जैसे रेडियो धर्मिता को अवशोषित करने वाले पदार्थों को चढ़ाया जाता है।

हिंदू संस्कृति और अन्य संस्कृतियों पर कई युवा सवाल उठाते हैं कि आखिर ऐसा क्यो किया जाता है वैसा क्यो किया जाता है। लेकिन अगर गौर से देखा जाए तो हर चीज़ के पीछे कोई न कोई वैज्ञानिक कारण छुपा हुआ है।

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