Friday, September 15th, 2017 08:33:56
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5 सवाल-जवाब में जानिए आरक्षण के बारे में सब कुछ

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आरक्षण हमारे देश का ऐसा मुद्दा है जिस पर यदि बहस छिड़ जाए तो वो बहस ख़त्म होने का नाम ही नहीं लेती। आरक्षण के बारे में सबकी अपने-अपने मत हैं। किसी का मत है कि आरक्षण को ख़त्म ही कर देना चाहिए तो किसी का मानना है कि आरक्षण जाति के आधार पर न होकर आर्थिक आधार पर होनी चाहिए। कई लोगों को आरक्षण के बारे में कुछ भ्रम हैं तो कईयों को आरक्षण के बारे में ज्यादा कुछ पता ही नहीं है। ख़ैर बहस लम्बी है फिलहाल हम आपको बताते हैं 4 सवालों के जवाब में आरक्षण के बारे में सब कुछ…

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1. कैसे हुई आरक्षण की शुरूआत?

पहली बार आरक्षण की शुरुआत 1902 में कोल्हापुर के राजा छत्रपति साहू जी महाराज ने की थी। फिर 1921 में मैसूर के महाराजा ने आरक्षण लागू किया था। 1921 में ही मद्रास प्रेसिडेंसी (वर्तमान तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल का उत्तरी हिस्सा और कर्नाटक का कुछ हिस्सा आता है।) में जस्टिस पार्टी ने आरक्षण की शुरुआत की थी। यहां गौरतलब है कि ब्राह्मण एकाधिकार को चुनौती देते हुए और उसका दमन करने के वादे के आधार पर ही जस्टिस पार्टी सत्ता में आई थी। इस तरह आरक्षण की शुरुआत राजाओं और भारतीय राजनीतिज्ञों द्वारा की गई थी।

2. कब लागू हुआ आरक्षण?

राष्ट्रीय स्तर पर अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण को डॉ. बाबासाहब अम्बेडकर की पहल पर 1943 में ही लागू किया गया था। उन्होंने यह समझ लिया था कि अंग्रेजों के बाद जिनके हाथों में भारत की बागडोर होगी, वे अनुसूचित जातियों को आरक्षण व अन्य सहूलियत देने में हिचकिचाएंगे। यही कारण था कि वह वायसरॉय के कार्यकारी परिषद में बतौर सदस्य शामिल हुए थे।

3. आरक्षण की कितनी श्रेणियां हैं?

1. राज्यों के पदों और सेवाओं में आरक्षण (सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, सार्वजनिक क्षेत्र के बैकों, यूनिवर्सिटी और अन्य संस्थाओं सहित सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुच्छेद 12 की व्याख्यानुसार स्टेट का दर्जा प्राप्त संस्थाएं।)
2. शिक्षण संस्थानों की सीटों में आरक्षण।
3. लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों में सीटों का आरक्षण। आमतौर पर जिसे राजनीतिक आरक्षण के रूप में संबोधित किया जाता है।

4. क्या है आरक्षण की समय सीमा?

आरक्षण की सभी श्रेणियों में से केवल तीसरी श्रेणी के आरक्षण के लिए शुरू में 10 वर्षों का प्रावधान था। जबकि एक और दो श्रेणी के आरक्षण के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं थी। बहुत सारे विद्वान तीसरी श्रेणी की 10 साल की समय सीमा को पहले और दूसरे श्रेणी के लिए भी बताते हैं जबकि उनके लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं थी।

5. क्या है आरक्षण का उद्देश्य?

संविधान के अनुसार आरक्षण का उद्देश्य गरीबी कम करना या खत्म करना कभी नहीं रहा। बेरोजगारी के समाधान हेतु आरक्षण को एक युक्ति के तौर पर कभी नहीं लिया गया। आरक्षण का उद्देश्य शासन और प्रशासन के ढांचे में असंतुलन को ठीक करना था। इसका उद्देश्य शिक्षा और चुनावी सीटों की उस संरचना को मजबूती प्रदान करना था जो भारतीय जाति व्यवस्था द्वारा निर्मित असंतुलन और असमानता के कारण बना था। साफ शब्दों में कहा जाए तो शासन व प्रशासन में से उच्च जातियों के एकाधिकार को खत्म करते हुए सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ी जातियों/जनजातियों को समान अवसर उपलब्ध करवाने के लिए ही इस आरक्षण की व्यवस्था की गई थी। हालांकि इस संबंध में कई लोगों का कहना है कि आरक्षण को आर्थिक पिछड़ेपन के आधार पर लागू करना चाहिए, लेकिन संविधान में नहीं निर्देशित होने के कारण आर्थिक पिछड़ेपन के आधार पर आरक्षण की व्यवस्था नहीं होती है।

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