Friday, August 25th, 2017
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गर्भनिरोधक उपायों से हैं अनजान, तो पढ़ें महिला उपयोगी खास जानकारी




Information about contraceptive methods for women

इस समाचार के बाद अनभिज्ञ स्त्रियों के ज्ञानवर्धन के लिए गर्भनिरोधकों की उपलब्ध जानकारी प्रस्तुत है :-

इस वक्त महिला गर्भनिरोधक के बाजार में 2 तरह के कॉन्ट्रासैप्टिव मौजूद हैं-

हार्मोन बेस्ड कॉन्ट्रासेप्टिव तथा नॉन-हार्मोनल कॉन्ट्रासेप्टिव

हार्मोन बेस्ड कॉन्ट्रासेप्टिव

इस तरह के कॉन्ट्रासेप्टिव सब से ज्यादा चलन में हैं. ये ऐसे कॉन्ट्रासेप्टिव हैं, जिन के इस्तेमाल से शरीर के अंदर हार्मोनल बदलाव के जरिए अनचाहे गर्भ को रोका जाता है. 35 से कम उम्र की कोई भी स्वस्थ महिला जो कुछ समय तक बच्चा नहीं चाहती, डाक्टर की सलाह से इन का प्रयोग कर सकती है. लेकिन अगर कोई महिला हार्ट या लिवर की बीमारी से पीडि़त है या उसे अस्थमा और ब्लडप्रैशर की शिकायत रहती है, तो हार्मोन बेस्ड कॉन्ट्रासेप्टिव उसके लिए ठीक नहीं हैं. इस से अलग जो महिलाएं धूम्रपान या शराब का सेवन करती हैं या जिन का वजन ज्यादा है उन्हें भी इस तरह के कॉन्ट्रासेप्टिव से बचना चाहिए. इस वक्त बाजार में कैटेगरी के सब से ज्यादा कॉन्ट्रासेप्टिव उपलब्ध हैं-

ओरल पिल्स

यह सब से ज्यादा इस्तेमाल में लाया जाने वाला उपाय है. इसे महीने में 21 दिन खाना होता है. यह इसलिए भी ज्यादा चलन मेें है, क्योंकि इस का इस्तेमाल काफी आसान है और यह उपाय सस्ता भी है. लेकिन ओरल पिल्स को बिना डॉक्टर की सलाह के न लें, क्योंकि ये सभी को सूट नहीं करतीं. इन्हें सही तरह से इस्तेमाल करने पर ही ये बचाव कर सकती हैं. लेकिन ज्यादातर महिलाएं सही पिल्स का चुनाव नहीं कर पातीं, जिस का नतीजा होता है अनचाहा गर्भ. ओरल पिल्स कई महिलाओं में वजन बढ़ाने और उल्टियों की समस्या का भी कारण बनती हैं. ओरल पिल्स के अलावा बाजार में मिनी पिल्स भी उपलब्ध हैं, जो ज्यादा कारगर और सेफ हैं. मिनी पिल्स भी प्रोजैस्ट्रौन और दूसरे हारमोंस के कौंबिनेशन से बनी होती हैं, जिन्हें दूध पिलाने वाली मां भी इस्तेमाल कर सकती है.

इमरजेंसी पिल्स

इस तरह की गर्भनिरोधक गोलियां ओरल पिल्स की पूरक हैं. अगर कोई महिला ओरल पिल्स लेना भूल जाती है और असुरक्षित सैक्स संबंध बनाती है, तो अनचाहे गर्भ से बचने के लिए 72 घंटे के अंदर वह इस का इस्तेमाल कर सकती है. इसीलिए इसे मौर्निंग अफ्टर पिल भी कहा जाता है. लेकिन यह उपाय भी सुरक्षा की पूरी गारंटी नहीं देता. इसलिए इसे केवल मजबूरी में ही इस्तेमाल करें, इसे आदत न बनाएं. लगातार इस्तेमाल से यह महिलाओं के लिए मुसीबत भी बन सकती है.

हारमोन इंजैक्शन

यह एक बेहद प्रभावशाली उपाय है. जो महिलाएं रोजाना गोलियां नहीं खाना चाहतीं, वे इस का इस्तेमाल कर सकती हैं. इस में महिला को प्रोजैस्ट्रौन का इंजैक्शन दिया जाता है. यह इंजैक्शन यूटरस की दीवार पर मौजूद म्यूकस को गाढ़ा कर देता है ताकि स्पर्म अंदर न जाएं और औव्यूलेशन को रोका जा सके. इस इंजैक्शन को लेने के 24 घंटों के अंदर ही इस का असर शुरू हो जाता है. यह 10 से 13 हफ्तों तक सुरक्षा देता है, जिस के बाद फिर इंजैक्शन लेना होता है. कुछ महिलाओं का इस से वजन बढ़ सकता है और उन के पीरियड्स अनियमित भी हो सकते हैं. इस के इस्तेमाल के बाद कंसीव करने में भी कुछ महीनों का वक्त लग सकता है.

इंप्लांट

इस प्रक्रिया में एक बेहद पतली प्लास्टिक रॉड हाथ के ठीक निचले हिस्से में फिट कर दी जाती है. यह रॉड शरीर में प्रोजैस्ट्रौन रिलीज करती है, जिस से औव्यूलेशन नहीं हो पाता. यह यूटरस में मौजूद म्यूकस का नेचर बदल देता है, जिससे प्रैग्नैंसी को रोका जा सकता है. इसे सब से सेफ ऑप्शन माना जाता है. यह इंप्लांट 3 से 5 साल तक के लिए प्रैग्नैंसी से बचाव करता है.

नॉन-हार्मोनल कॉन्ट्रासेप्टिव

ये ऐसे कॉन्ट्रासेप्टिव हैं जिनसे किसी तरह के हार्मोन शरीर के अंदर नहीं जाते. ये उन महिलाओं के लिए कारगर हैं, जिन्हें हार्ट, लिवर, अस्थमा या ब्लडप्रैशर की शिकायत रहती है. लेकिन नॉन-हार्मोनल कॉन्ट्रासेप्टिव के इस्तेमाल से पहले डॉक्टरी सलाह बेहद जरूरी है. फीमेल कॉन्ट्रासेप्टिव की इस कैटेगरी में भी कई विकल्प मौजूद हैं. –

फीमेल कंडोम

गर्भनिरोधकों की श्रेणी में महिलाओं के लिए कंडोम एक नई चीज है. यह कंडोम लुब्रिकेटेड पौलीथिन शीट का बना होता है. भारत में महिलाओं के लिए बने ये कंडोम हाल बाजार में उतारे गए हैं. इसे भी पुरुष कंडोम की ही तरह एक ही बार इस्तेमाल में लाया जा सकता है. ये प्रैग्नैंसी रोकने में पूरी तरह से कारगर हैं, बशर्ते सैक्स के दौरान इस की पोजीशन ठीक रहे. यह प्रैग्नैंसी रोकने के अलावा HIV जैसे रोगों से भी सुरक्षा देता है. लेकिन यह एक महंगा विकल्प है. महिला कंडोम की कीमत बाजार में 80 रुपए तक है, इसलिए डाक्टर पुरुष कंडोम की सलाह देते हैं, क्योंकि वह ज्यादा सस्ता विकल्प है.

इंट्रायुटेराइन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस

इस डिवाइस को कॉपर-टी या मल्टीलोड डिवाइस के नाम से जाना जाता है. यह एक तरह की लचीली प्लास्टिक की डिवाइस होती है जिसे डॉक्टर द्वारा कॉपर के तार के साथ यूटरस में लगा दिया जाता है. कॉपर वायर यूटरस में ऐसा असर पैदा करता है, जिससे शुक्राणु और अंडाणु आपस में मिल नहीं पाते और गर्भ नहीं ठहरता. यह 98% तक सुरक्षा देता है. इसे 3 या 5 साल के लिए लगवाया जा सकता है. सरकारी हैल्थ सैंटरों में यह मुफ्त उपलब्ध है, जबकि बाजार में इसकी कीमत 375 रु. से 500 रु. के बीच है. इससे पीरियड ज्यादा होना और पैरों में दर्द रहना आम बात है. जिन्हें कॉपर से एलर्जी है, उनके लिए इसका इस्तेमाल नुकसानदेह हो सकता है.

स्पर्मिसाइड जैली

इस तरह के कॉन्ट्रासेप्टिव भी काफी अच्छे विकल्पों में गिने जाते हैं. अगर महिलाएं कंडोम या किसी तरह के डिवाइस को इस्तेमाल नहीं करना चाहतीं, तो इस तरह की जैली या फोम बेस्ड कॉन्ट्रासेप्टिव इस्तेमाल कर सकती हैं. इसे सैक्स से ठीक पहले वजाइना में लगाना होता है. इस में मौजूद ‘नोनोक्सिनोल 9 कैमिकल’ स्पर्म को संपर्क में आते ही खत्म कर देता है. कुछ मेल कंडोम में भी स्पर्मिसाइड होते हैं. यह उपाय काफी कारगर है, लेकिन कुछ महिलाओं को इस से एलर्जी भी होती है, इस का ध्यान रखना जरूरी है.

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