बचपन में लता दीदी काफी शरारती हुआ करती थी। उनकी शरारतों पर उनकी माँ उन्हें पकड़कर मारती थी। तब लता दीदी अपनी फ्रॉक को गठरी में बांधकर कहती थी की ‘‘मै घर छोड़कर जा रही हूं।’’ वे घर छोड़कर पास ही में एक तालाब किनारे चली जाती थी और जाकर बैठ जाती थी। बाद में उनकी माँ वापस बुलाने के लिए नौकर को भेजती थी।
एक बार तो बचपन में गुस्से में घर छोड़कर जाने लगी तब उनके पापा ने भी कहा कि ‘‘हां-हां लता को जाने दो, हम सब इसको बहुत तकलीफ देते हैं, जाओ लता जाओ।’’ उस समय लता दीदी बार-बार घर की तरफ मुड़कर देख रही थी कि कोई रोकेगा लेकिन किसी ने नहीं रोका। नेक्सट पेज पर पढ़ें क्यों पिताजी ने थमा दिया था तानपुरा