एनएसयूआई देश के बड़े स्टूडेंट आर्गेनाइजेशन के रूप में विधमान है। नोटबंदी के बाद देश को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। खासतौर पर कैश की किल्लत का सामना सभी को करना पड़ा था। एनएसयूआई ने नोटबंदी के बाद जगह-जगह अलग राज्यों में सर्वे कराया और कुछ चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए है।
23 जनवरी 2017 को एनएसयूआई ने अपने राष्ट्रीय कार्यालय पर ही एक पत्रकार वार्ता का आयोजन नोटबंदी के मुद्दे पर किया। जिसे एनएसयूआई की राष्ट्रीय अध्यक्ष अमृता धवन ने संबोधित किया। एनएसयूआई की राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि एनएसयूआई ने नोटबंदी के बाद देश के 18 राज्यों में एटीएम का सर्वे अपने पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के द्वारा करवाया।
18 राज्यो में कुल 2735 एटीएम पर एनएसयूआई के लोगों द्वारा लगभग दो हफ्ते नज़र रखी गई जिसमें सिर्फ 340 एटीएम ही कार्य कर रहे थे जबकि 2395 एटीएम कार्य नहीं कर रहे थे। जिन एटीएम में उन दो हफ्ते में पैसे एक बार भी नहीं डाले गए। यदि आंकड़ों पर बात करे तो उन 18 राज्यो में लगभग 87.56 प्रतिशत एटीएम कार्य नहीं कर रहे है। जिससे उन क्षेत्र विशेष के लोगों में भारी नाराज़गी देखने को मिली,लोगों ने वहाँ प्रदर्शन और अपना विरोध भी जताया है।
पत्रकार-वार्ता को सम्बोधित करते हुये एनएसयूआई की राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री जी नोटबंदी के मुद्दे पर अपने ज़िद पर अभी भी अड़े हुये है जबकि देश के सभी बड़े अर्थशास्त्रियों ने इसे सिरे से ख़ारिज कर असफल बताया।आप देख सकते है लगभग 97 प्रतिशत रुपया वापस आरबीआई को आ गया है। ऐसे में मेरा सवाल है मोदी जी से कि काला धन कहा है। जब मोदी जी काला धन पर असफल हो गये तो कैशलेस की बात करने लगे। जबकि सभी जानते है कि हमारे देश में अभी इस तरह का ढाँचा निर्माण नहीं हुआ है कि कैशलेस व्यवस्था लागु किया जा सके।
आज भी दुनिया के कई विकसित देशों की इकोनोमी 50 प्रतिशत से ज़्यादा कैश पर ही चलती है। मोदी जी ज़िद के कारण देश की अर्थव्यवस्था का खाफ़ी नुक़सान होने वाला है।दुनिया के जो निवेशक भारत में निवेश करना चाहते थे वे लोग भी अब निवेश करने से घबरा रहे है। किसानो का भी बुरा हाल है आप ने देखा मंडियों में किसानो का कितना नुक़सान हुआ है। छोटे व्यापारियों को भी बहुत नुक़सान का सामना करना पड़ा तथा जो शहरों से मज़दूरों का पलायन यह बता रहा है कि रोज़गार में भी भारी गिरावट आइ है। नोटबंदी के कारण छात्रों को बहुत परेशानी हो रही है। शुरुआती दौर में जो छात्र बाहर किराया के मकानों में रह रहे है उनको अपना किराया देने से लेकर कोचिंग की फ़ीस तथा जीवन आपन में भी काफ़ी दिक़्क़त हो रही थी।
एनएसयूआई की राष्ट्रीय अध्यक्ष अमृता धवन में बताया कि एनएसयूआई अगले चरण में देश भर के छात्रों के बीच जायेगी और उनसे नोटबंदी के बाद हो रहे समस्याओ को जानेगी। छात्रों को फ़ीस, हॉस्टल फ़ीस, मेस फ़ीस आदि में किस प्रकार से परेशानी हो रही है उनका सर्वे कराया जायेगा। एनएसयूआई इस वार्ता के माध्यम से सरकार से यह माँग करती है कि जल्द से लोगों को उनका पैसा निकालने का अधिकार दे।जिससे लोगों को हो रही परेशानी दूर हो सके। एनएसयूआई की राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा की इसके साथ ही हम यूजीसी के द्वारा एमफिल और पीएचडी प्रवेश को लेकर दिनांक 5 मई 2016 को जो नोटिफ़िकेशन जारी किया है उसके विरोध में हम जल्दी ही संसद खुलने के बाद संसद और यूजीसी का घेराव करेंगे।