अबॉर्शन से जुड़े मामले पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फ़ैसला
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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अबॉर्शन से जुड़े एक मामले में एक ऐतिहासिक फ़ैसला सुनाया है। दरअसल, कोर्ट ने 24 हफ़्ते की एक गर्भवती महिला को गर्भपात कराने की इजाजत दे दी है। कोर्ट ने यह फ़ैसला हॉस्पिटल की रिपोर्ट के आधार पर दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 21 हफ़्ते के बाद महिला की जांच रिपोर्ट में सामने आया कि भ्रूण का सिर का हिस्सा ही नहीं है। बता दें कि गर्भवती महिला ने ख़ुद सुप्रीम कोर्ट में इस संबंध में याचिका दायर की थी। इस याचिका के ज़रिए महिला ने कोर्ट से गुहार लगाई थी कि उसे अबॉर्शन कराने की अनुमति दी जाए।
कोर्ट का हॉस्पिटल को आदेश, रिकार्ड रखे संभालकर
बता दें कि यह फ़ैसला न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ ने दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने अस्पताल को निर्देश दिया है कि गर्भपात अस्पताल के डॉक्टरों के एक दल द्वारा किया जाए जो इस संबंध में प्रक्रिया का पूरा रेकॉर्ड संभालकर रखे।
बता दें कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट यानी कि एमटीपी के मुताबिक, 20 हफ़्ते के बाद गर्भपात नहीं किया जा सकता। ऐसा करने पर सात साल तक की सजा का प्रावधान है। हालांकि, इसके तहत यह छूट भी है कि अगर मां या बच्चे को खतरा हो तो गर्भपात किया जा सकता है। ग़ौरतलब है कि इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे कई मामलों में गर्भपात की इजाजत दी है।
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