भाषण और वक्तव्यों में उम्दा तुकबंदी के कारण कुशल वक्ता
वेंकैया पूर्व पीएम अटल बिहारी वायजेपी के काफी करीब थे, जिस वजह से उन्हें वाजपेयी सरकार में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री का दायित्व सौंपा गया। उसके बाद चाहे अटल बिहारी वाजपेयी हों या आडवाणी या फिर मोदी, सभी की पसंद वेंकैया रहे हैं। केंद्र सरकार वेंकैया नायडू को कई संसदीय समितियों का सदस्य भी बना चुकी है। अपने भाषण और वक्तव्यों में तुकांत शब्द बोलने के कारण भी उन्हें अच्छा वक्ता माना जाता है। वेकैंया नायडू मोदी के शहरी विकास, आवास तथा शहरी गरीबी उन्मूलन और संसदीय कार्य मंत्री रहे।
उपराष्ट्रपति पद के योग्य कैसे समझे गए?
संसदीय कार्यों पर अपनी गहरी पकड़ और गहरी संवैधानिक सूझबूझ वाले वेंकैया नायडू के पक्ष में सबसे बड़ी बात ये है कि वे आंध्र प्रदेश यानि दक्षिण से आते हैं, जहां BJP का खास जनाधार नहीं है। ऐसे में दक्षिण में अपनी पैठ मजबूत करने के लिए उपराष्ट्रपति चुनाव से बढ़िया मौका नहीं हो सकता था। कहा जा रहा था कि उत्तर भारत में BJP की पकड़ मजबूत है लेकिन दक्षिण भारत में BJP कमजोर पड़ जाती है। राष्ट्रपति पद के लिए उत्तर प्रदेश के रहने वाले रामनाथ कोविंद के नाम की घोषणा के बाद BJP उपराष्ट्रपति पद के लिए दक्षिण से किसी उम्मीदवार की घोषणा करना चाहती थी। वे आंध्र प्रदेश के रहने वाले हैं, BJP इस दांव से दक्षिण में अपना आधार मजबूत करना चाहती है। दक्षिण में कर्नाटक ही एकमात्र ऐसा राज्य है जहां BJP मजबूत स्थिति में थी।
सबसे तालमेल बनाकर चलना सरकार के लिए फायदेमंद
मोदी सरकार में संसदीय कार्य मंत्री के नाते उन्होंने संसद में सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध की स्थिति में सोनिया गांधी समेत विपक्ष के नेताओं से संपर्क साधकर गतिरोध को दूर करने का प्रयास किया। मोदी इस पद के लिए ऐसा कैंडिडेट चाहते थे, जिसे संसदीय कार्य में महारत हासिल हो और साथ ही उसके विपक्षी दलों के साथ जिसके अच्छे संबंध हों। नायडू इस पैमाने पर बिल्कुल फिट थे। उपराष्ट्रपति के पास ही राज्यसभा के संचालन की भी जिम्मेदारी होती है। ऐसे में BJP की रणनीति के लिहाज से उनका नाम सर्वश्रेष्ठ था।
नायडू के सभी से अच्छे रिश्ते, राज्यसभा का काम अच्छा चलेगा
नायडू अपनी हाजिरजवाबी के लिए मशहूर हैं। नायडू ने संसदीय मामलों के मंत्री के तौर पर कांग्रेस सहित सभी दलों के साथ अच्छे संबंध बनाए थे। वह गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) बिल पर विपक्ष का समर्थन मांगने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के घर पर भी गए थे। वह राष्ट्रपति चुनाव के सिलसिले में भी सोनिया से मिले थे। विपक्षी दलों के साथ उनके अच्छे संबंधों के कारण उन्हें राज्यसभा का कामकाज बेहतर तरीके से चलाने में मदद मिलेगी, यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि NDA को राज्यसभा में 2019 तक बहुमत मिलने की मद्धम गति से चलने की संभावना है।
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