कम उम्र में जब पिता का हाथ जिन बच्चों के सिर से हट जाता है वे या तो पूरी तरह से बर्बाद हो जाते हैं या आबाद हो जाते हैं। इसमें बर्बाद होने वालों की संख्या ज्यादा होती है और आबाद होने वालों की गिनती हाथों पर होती हैं। उन्हीं गिनती में से दो शख्स हैं -जितेंद्र चौहान और बिपिन चौहान। जब दोनों भाई छोटे थें तब ही पिता चिमनलाल चौहान ने अचानक सन्यास बनने का फैसला कर लिया और सब कुछ पीछे छोड़कर चले गए। जिसके बाद से घर को इन दोनों भाईयों ने मिलकर संभाला हैं। आज जेडब्लू मेन्सवेयर स्टोर के मालिक देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोंदी के लिए कपड़े बनाते हैं।
दोनों भाई अहमदाबाद के एक स्लम इलके के एक चॉल में अपने परिवार के साथ रहते थे। मूल रूप से यह अहमदाबाद से 100 किलोमीटर दूर लिम्बिडी से ताल्लुक रखने वाले है। परिवार में शुरू से ही टेलरिंग का काम चलता आ रहा था। बिपिन और जितेंद्र टेलरिंग का काम करने वाले छटीं पीढ़ी बने हैं। टेलरिंग का काम बंद ना हो जाए इसलिए बिपिन और जितेंद्र ने स्कूल के बाद भी टेलरिंग का काम शुरू रखा। पिता के सन्यास के बाद हालात बिगड़ते गए और एक साल के भीतर पूरा परिवार अहमदाबाद शहर में नाना-नानी के घर आ गया। यहां से दोनों भाईयों ने अपने काम को लेकर शुरूआत की।