Friday, September 8th, 2017 18:14:33
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दौलत, इंसान या जमीन नहीं, बल्कि इसलिए चीन चाहता था युद्ध




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In 1967 too, China wanted war for this reason

आप यह जानकर आश्चर्यचकित हो सकते हैं कि किन्हीं 2 देशों के बीच तनाव बढ़ने का कारण दौलत, इंसान या जमीन तो हो सकते हैं, लेकिन जानवर भी उनके बीच युद्ध की सम्भावना खड़ी कर सकते हैं. जी हाँ सन 1967 में भारत और चीन के बीच तनाव की वजह पर आप विश्वास नहीं करेंगे लेकिन भेड़ों और यॉक के झुंड ने 1967 में भारत और चीन के बीच तनाव पैदा किया था।

800 भेड़ और 59 यॉक चुराने का आरोप

तिब्बती बॉर्डर पर वहां के चरवाहों पर 800 भेड़ और 59 यॉक चुराने का आरोप लगा था। तब चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों से अपनी भेड़ें और यॉक वापस मांगे थे। चीनी सैनिकों और भारतीय सैनिकों के बीच पैदा हुए तनाव से दिल्ली में शांतिपथ पर चीनी दूतावास के सामने नाटकीय विरोध नज़र आया था।

भेड़ और यॉक के बहाने चीन की मंशा है विश्व युद्ध

24 सितंबर 1965 की दोपहर कांग्रेस नेताओं और अधिकारियों की भीड़ ने चीनी दूतावास के सामने प्रदर्शन करना शुरू कर दिया था। भारतीयों की उग्र भीड़ में लोग चीख-चीख कर कह रहे थे कि कुछ भेड़ और यॉक की वजह से चीन विश्व युद्ध शुरू करना चाहता है। भारतीयों के इस प्रदर्शन के जवाब में चीन ने एक नोट लिखा था, जिसमें उसने भारतीयों के प्रदर्शन को बदसूरत बताते हुए कहा था कि यह भारतीय सरकार द्वारा फैलाया गया ड्रामा है।

चीन को यह जवाब दिया भारत ने

चीनी नोट के जवाब में भारत के विदेश मंत्रालय ने 1 अक्टूबर को एक पत्र लिखा था। जिसमें जानवरों के साथ लापता हुए 4 तिब्बती चरवाहों का भी जिक्र था। विदेश मंत्रालय ने कहा था कि अन्य तिब्बती शरणार्थियों की तरह, ये 4 लोग भी अपनी इच्छा से भारत आए थे और उन्होंने हमारी अनुमति के बिना भारत में शरण ली थी। वे किसी भी समय तिब्बत वापस जाने के लिए स्वतंत्र हैं। भारत ने अपने नोट में यह भी कहा था कि हम भेड़ और यॉक के बारे में कुछ भी नहीं जानते हैं। यह उन चरवाहों पर निर्भर है, जिन्होंने चोरी की है। वे तिब्बत जाते समय अपनी भेड़ें और यॉक ले जा सकते हैं।

“मुझे खा लो, लेकिन दुनिया को बचा लो”

भारतीय नोट में सरकार ने यह भी लिखा कि चीनी दूतावास के सामने भारतीयों ने जो प्रदर्शन किया वह शांतिपूर्ण था। और जो भेड़ें प्रदर्शन के लिए चीनी दूतावास के सामने लाई गई थी, वास्तव में वे प्रदर्शनकारियों की ही भेड़ें थी। यह चीनी अल्टीमेटम के खिलाफ दिल्ली के नागरिकों के असंतोष की एक सहज और शांतिपूर्ण अभिव्यक्ति थी। लेकिन वास्तव में चीनी दूतावास के सामने कुछ भारतीय प्रदर्शनकारियों ने यह अभिव्यक्ति प्रदर्शित की थी – “मुझे खा लो, लेकिन दुनिया को बचा लो।”

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