क्या आप कभी ऐसी जगह गए है जहां किसी भी चीज को छूने पर आपसे जुर्माना लिया जाए। अब आप सोच रहे होंगे कि ये कैसा गांव है जहां कुछ भी छूने पर जुर्माना लगता हो, ऐसे गांव में भला कौन जाना चाहेगा। ये गांव भारत के ही हिमाचल प्रदेश में बसा है लेकिन आश्चर्य की बात तो ये है कि यहां पर भारत का कानून नहीं चलता। यहां पर यहीं का कानून चलता है।
ये गांव हिमाचल प्रदेश की कूल्लू घाटी के उत्तर पूर्व की खूबसूरत वादियों में बसा हैं। इस गांव का नाम मलाणा गांव हैं। यह गांव पार्वती घाटी में चंद्रखानी और देओटिब्बा नाम की पहाड़ियों से घिरा हुआ हैं मलाणा नाले के किनारे स्थित है। मलाणा गांव आज भी इस आधुनिक दुनिया से काफी दूर अपनी पुरानी परंपराओं के साथ जी रहा है।
जमलू ऋषि ने बनाए थे नियम
मलाणा गांव का इतिहास काफी पुराना है। कहा जाता है कि बहुत समय पहले इसं गांव में ‘जमलू’ ऋषि रहा करते थे। उन्होंने ही इस गांव के नियम-कानून बनाए थे। इस गांव का लोकतंत्र दुनिया का सबसे प्राचीन लोकतंत्र है। ऐसा माना जाता है कि जमलू ऋषि को आर्यो के समय से भी पहले से पूजा जाता है। जमूल ऋषि का उल्लेख पुराणों में भी आता है।
सिकंदर के वंशज रहते हैं यहां
मलाणा में रहने वाले निवासी आर्यों के वंशज माने जाते हैं. जबकि अन्य परंपरा के अनुसार मलाणा गांव के लोग अपने आपको सिकंदर के सैनिकों का वंशज मानते हैं। बहुत समय पहले मुगल शासक अकबर अपनी बीमारी का इलाज करवाने यहां पर आया था। जब अकबर पूरी तरह से ठीक हो गया तो उसने यहां पर रहने वाले लोगों को कर से मुक्त करवा दिया था।
ऐसा होता है फैसला
मलाणा गांव की सामाजिक सरंचना यहां के ऋषि जमलू देवता के अविचलित विश्वास व् श्रद्धा पर टिकी हुई है. पूरे गांव के प्रशासन को एक ग्राम परिषद के माध्यम से ऋषि जमलू के नियमों द्वारा नियंत्रित किया जाता है. इस ग्राम परिषद में 11 सदस्य होते हैं जिनको ऋषि जमलू के प्रतिनिधियों के रूप में जाना जाता है. इस परिषद द्वारा लिया गया फैसला अंतिम होता है और यहां पर गांव के बाहर वालों के कोई नियम लागू नहीं होते. इस गांव की राजनीतिक व्यवस्था प्राचीन “ग्रीस” की राजनीतिक व्यवस्था से मिलती है. इस वजह से मलाणा गांव को “हिमालय का एथेंस” भी कहा जाता है.
कुछ भी छुआ तो जुर्माना
मलाणा के निवासी अपने आप को हर हाल में श्रेष्ठ मानते हैं और बाहर से आने वाले किसी भी व्यक्ति को घर, पूजा-स्थलों, स्मारकों, कलाकृतियों या दीवारों को छूने की इजाजत नहीं देते। अपनी विचित्र परंपराओं लोकतांत्रिक व्यवस्था के कारण पहचाने जाने वाले इस गांव में हर साल हजारों की संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं। इनके रुकने की व्यवस्था इस गांव में नहीं है. पर्यटक गांव के बाहर टेंट में रहते हैं। अगर इस गांव में किसी ने मकान-दुकान या यहां के किसी निवासी को छू लिया तो यहां के लोग उस व्यक्ति से एक हजार से दो हज़ार तक रुपए वसूलते हैं। इस सूचना को दर्शाने के लिए जगह-जगह बोर्ड लगे हैं।
कुख्यात “मलाणा क्रीम”
मलाणा क्रीम “भांग/चरस मार्किट” में सबसे महंगी और सबसे अच्छी चरस मानी जाती है. इसका कारण यहाँ की चरस में पाया जाने वाला उच्च-गुणवता का तेल है. स्थानीय पुलिस व प्रशासन मलाणा में भांग की खेती को हतोत्साहित करने के लिए समय समय पर अभियान चलाते हैं फिर भी काफी मात्रा में यहाँ से भांग की तस्करी बाहरी देशों में की जाती है।