सिविल एविएशन मिनिस्टर अशोक गजपति राजू ने आज कहा कि सरकारी विमान सेवा कंपनी एयरइंडिया के निजीकरण को लेकर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है तथा सरकार “सलाह प्राप्ति” की प्रक्रिया में है। राजू ने नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन में इस संबंध में पूछे जाने पर कहा कि जहां तक एयर इंडिया का सवाल है मुझे बस यही कहना है कि हम सलाह ले रहे हैं। अभी कोई फैसला नहीं हुआ है। जैसे ही इस पर कोई फैसला हो जाता है हम मीडिया के माध्यम से लोगों को इसकी जानकारी दे देंगे।
सिन्हा कह चुके हैं – ‘सरकार एयर इंडिया के निजीकरण के पक्ष में’
टाटा समूह तथा कुछ निजी विमान सेवा कंपनियों के एयरलाइंस में हिस्सेदारी खरीदने की मीडिया में आई खबरों के बारे में उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि उन्हें इस तरह की बातें मीडिया से ही पता चल रही हैं। करीब 30,000 करोड़ रु. के घाटे में चल रही एयरइंडिया के निजीकरण पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। स्वयं नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा खुलकर कह चुके हैं कि सरकार एयर इंडिया के निजीकरण के पक्ष में हैं।
सरकार को इससे अलग हो जाना चाहिए – नीति आयोग
नीति आयोग ने भी एयरलाइंस के निजीकरण की सिफारिश की थी। नीति आयोग में सलाहकार (परिवहन) मनोज सिंह ने यूनीवार्ता को बताया कि सरकार द्वारा एयरलाइंस चलाने का कोई औचित्य नहीं बनता। उन्होंने कहा कि विमान सेवा कंपनी चलाना काफी जोखिम भरा कारोबार है, यह सतत बदलाव वाला क्षेत्र है, सरकार को इससे अलग हो जाना चाहिए।
एयरइंडिया की स्थापना 1932 में टाटा ने की थी
इस सप्ताह सूत्रों के हवाले से मीडिया में खबरें आइ थीं कि टाटा समूह ने एयरइंडिया में दिलचस्पी दिखाई है। एयरइंडिया या नागरिक उड्डयन मंत्रालय से हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो पाइ है। उल्लेखनीय है कि एयरइंडिया की स्थापना टाटा एयरलाइंस के रूप में वर्ष 1932 में उद्योगपति जे.आर.डी. टाटा ने की थी। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी बन गयी तथा इसका नाम बदलकर एयरइंडिया किया गया। अब देखना यह है कि अगर एयरइंडिया का प्राइवेटिलाइज़ेशन हुआ तो क्या टाटा अपनी पूर्व कंपनी का अपने बिजनेस ग्रुप में वेलकम करतें है या यह अफवाह ही साबित होता है?