Thursday, August 31st, 2017
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क्या है नीले और लाल रंग के डिब्बों का राज




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आपने नीले रंग के अलावा सिल्वर और लाल रंग के कोच भी देखे होंगे। इन कोच को लिंक हॉफमेन बुश (एलएचबी) कोच कहा जाता है। इन कोच को बनाने की फैक्ट्री कपूरथला में है। भारत में इन कोच को जर्मनी से लाया गया है। साल 2000 में 24 एलएचबी कोच को जर्मनी से शताब्दी एक्सप्रेस के लिए मंगाया गया था।

एचलएचबी कोच का प्रयोग मुख्यतः तेज गति वाली ट्रेनों में किया जाता हैं देश की सबसे तेज ट्रेन गतिमान एक्सप्रेस, शताब्दी एक्सप्रेस और राजधानी एक्सप्रेस में इन्हीं कोच का प्रयोग किया जाता है। इन कोच को फास्ट स्पीड ट्रेन के लिए ही डिजाइन किया गया है। इनमें क्षमता होती है कि ये 160 से 180 किमी प्रति घंटे की स्पीड में दौड़ सके।

एलएचबी कोच फैक्ट्री में भी हर तरह के एलएचबी कोच बनाए जाते हैं जिनमें एसी, नॉन एसी, स्लीपर कोच शामिल है। इन कोच में रेल्वे यात्रियों की यात्रा काफी सुरक्षित होती है और इनमें दुर्घटना होने के भी काफी कम अवसर होते हैं। आईसीएफ कोच के मुकाबले ये कोच काफी बेहतरीन होते हैं। दोनो तरह के कोच में बहुत अंतर है। नेक्सट पेज पर पढ़ें दोनों कोच के बीच अंतर…

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