शब-ए-कद्र की मुबारक रात को जब पूरी दुनिया के मुस्लिम अपने गुनाहों से तौबा करते हुए खुदा की इबादत में डूबे हुए थे, उस समय ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में स्थित एतिहासिक जामिया मस्जिद के बाहर आतंकियों और अलगाववादियों के समर्थक भीड़ ने राज्य पुलिस के एक DSP मो. अय्यूब पंडित को इतना पीटा की उनके प्राण-पखेरू ही उड़ गए। DSP ने जान बचाने के लिए गोली भी चलाई, उसे भीड़ से छुड़ाने के लिए वहां मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने लाठियां भी भांजी, लेकिन सब कुछ नाकाम रहा, इस संघर्ष की स्थिति के दौरान DSP की पिस्तौल से निकली गोलियों से 3 युवक जख्मी जरूर हो गए।
मातहत अधिकारियों व जवानों के साथ वहां तैनात था
जम्मू-कश्मीर राज्य पुलिस के DGP डॉ एस. पी. वैद के अनुसार, शब-ए-कद्र के मुबारक मौके पर कोई विध्वंसकारी तत्व मस्जिद में दाखिल न हो पाए, इसलिए मस्जिद के प्रवेश द्वार पर राज्य पुलिस के सुरक्षा विंग के DSP मो. अय्यूब पंडित को उनके मातहत अधिकारियों व जवानों के साथ वहां तैनात किया गया था। ये सभी लोग वहां सादे कपड़ों में थे, इसी दौरान कुछ शरारती तत्वों ने उन पर हमला कर दिया।
परिजनों के मुताबिक, “वे नमाज अदा करने गए थे”
पुलिस के इस दावे पर स्थानीय लोगों को यकीन नहीं है, क्योंकि दिवंगत की पहचान के बारे में कोई भी अधिकारी घटना के 2 से 3 घंटे बाद तक बताने में समर्थ नहीं था। सभी कह रहे थे कि यह किसी खुफिया एजेंसी का गैर-मुस्लिम अधिकारी है। दिवंगत के पड़ोसियों और रिश्तेदारों के मुताबिक, “दिवंगत अय्यूब करीब एक माह पहले ही राज्य पुलिस के सुरक्षा विंग में स्थानांतरित हुए थे। इससे पूर्व वे पुलिस अकादमी में बतौर लॉ इंस्ट्रक्टर तैनात थे। वे जामिया मस्जिद के साथ सटे खानयार के रहने वाले थे। उनके परिजनों के मुताबिक, “वे नमाज अदा करने गए थे।”
मीरवाईज उमर उसी मस्जिद के अंदर थे
जिस समय DSP को बाहर भीड़ ने मौत के घाट उतारा, उस समय मस्जिद के अंदर उदारवादी हुर्रियत कांफ्रेंस के प्रमुख मीरवाईज मौलवी उमर फारुक लोगों को इस्लाम का पाठ पढ़ाते हुए अमन, दयानतदारी और भाईचारे की सीख दे रहे थे।
बताया जाता है, बीती रात को शब-ए-कद्र थी। इस मुबारक मौके पर स्थानीय मस्जिदों,खानकाहों और दरगाहों में लोग नमाज-इबादत के लिए जमा हुए थे। शब-ए-कद्र को सामान्य तौर पर इस्लाम के मानने वाले मस्जिदों में ही पूरी रात इबादत करते हैं।
ऐसे हुआ कश्मीरी मुस्लिम DSP अय्यूब का क़त्ल
श्रीनगर की एतिहासिक जामिया मस्जिद में इस मौके पर एक बहुत बड़ी मजलिस होती है। DSP मो. अय्यूब पंडित मस्जिद के बाहरी गेट से कुछ ही दूरी पर खड़े थे। उन्होंने अपना मोबाईल फोन निकाला और किसी से बात करने लगे। कहा जाता है कि इससे वहां मौजूद कुछ लडक़ों को उन पर संदेह हुआ कि वे उनकी रिकार्डिंग कर रहे हैं और वे किसी खुफिया एजेंसी के अधिकारी है। कुछ लोगों का दावा है कि उन्हें वहां किसी पत्थरबाज ने बतौर पुलिसमेन पहचान लिया था और उसके बाद भीड़ उस पुलिस अधिकारी पर टूट पडी।
एक युवक ने कथित तौर पर उनका पिस्तौल छीन, उन्हीं पर गोली चलाने का प्रयास किया। लेकिन हाथापाई में वह गोली उन्हें नहीं लग पाई और 3 अन्य युवक जो वहां DSP की पिटाई कर रहे थे, गोली लगने से जख्मी हो गए। इनकी पहचान दानिश मीर, मुदस्सर अहमद और सज्जाद अहमद बट के रुप में हुई है। तीनों को उपचार के लिए अस्पताल में दाखिल कराया गया है।
इस बीच, गोली चलने की आवाज से वहां अफरा-तफरी मच गई। जामिया से कुछ दूरी पर तैनात पुलिसकर्मी और CRPF के जवान गोली की आवाज सुनकर मौके पर पहुंचे। उन्होंने वहां एक व्यक्ति को पिटते देख, उसे बचाने के लिए लाठियां और आंसू गैस शरारती तत्वों पर इस्तेमाल की। लेकिन जब तक वे हिंसक भीड़ को खदेड़ते, भीड़ की मार से DSP की मौत हो चुकी थी। इसके साथ ही वहां हिंसक भीड़ और पुलिसकर्मियों के बीच झडपें शुरु हो गई। हालात को काबू करने के लिए पुलिस को लाठियां, आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा। आंसू गैस के कारण जामिया मस्जिद के भीतर मौजूद श्रद्धालुओं को भी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
मामला दर्ज कर छानबीन शुरु
मरहूम DSP की पहचान को लेकर काफी देर तक संशय बना रहा। नौहट्टा पुलिस स्टेशन के थाना प्रभारी, संंबधित DSP और SP समेत कोई भी पुलिसकर्मी या अधिकारी उसकी पहचान करने में समर्थ नहीं हो पाया। सभी दावा करने लगे कि दिवंगत किसी केंद्रीय खुफिया एजेंसी का अधिकारी है। बाद में जब मरहूम के शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया तो पता चला कि मरने वाला कोई गैर मुस्लिम नहीं बल्कि राज्य पुलिस के सुरक्षा विंग में तैनात DSP मो. अय्यूब पंडित है। मरहूम जामिया मस्जिद के साथ ही सटे खानयार का रहने वाला था।
सुबह आवश्यक औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद उसका शव उसके परिजनों के हवाले कर दिया गया। पुलिस ने भी इस सिलसिले में एक मामला दर्ज कर छानबीन शुरु कर दी है। मरहूम पुलिस अधिकारी की पिस्तौल की तलाश की जा रही है।