क्या था ये दिल मांगे मोर का मतलब
विक्रम बत्रा ने अपने इंटरव्यू में बताया था कि ‘‘आर्मी के जवान जीतने के बाद ‘ओ या या’ जैसे सिग्नल देते है पर उन्होनें ‘ये दिल मांगे मोर’ कहा। इसके पीछे एक वजह है कि वे अभी भी और लड़ना चाहते हैं उन्हे और भी बंकर्स चाहिए और वे और भी चोटियों को पाकिस्तान से छुड़ाना चाहते है।’’ ये पंच लाइन उन्होने उनके हौंसले और कारगिल को जीतने के लिए कही थी।
बचपन से ही था देशसेवा का जुनून
कैप्टन बत्रा का जन्म 9 सितंबर 1974 को पालमपुर हिमाचल में हुआ था। कैप्टन बत्रा को कारगिल का शेर भी कहा जाता हैं। कैप्टन बत्रा को बचपन से ही सेना में भर्ती होने का जुनून था। उन्होने अपनी पढ़ाई पूरी कर सीडीएस के माध्यम से सेना में प्रवेश लिया आपको बता दे कि सेना में नौकरी के लिए उन्होने हॉंन्गकान्ग में भारी वेतन की नौकरी भी ठुकरा दी। कैप्टन विक्रम बत्रा की ट्रेनिंग खत्म होने के बाद उन्हें 6 दिसंबर 1997 को जम्मू के सोपोर में लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्त किया। 1 जनवरी 1999 को उनकी टुकड़ी को कारगिल युद्ध में भेजा गया।