मोदी सरकार के जिस फ़ैसले की आज देश के कोने-कोने में बात हो रही है, जिसने रातों-रात देश के हर नागरिक की लाईफ को बदल कर रखा दिया, उस फ़ैसले को लागू हुए पूरा एक महीना बीत चुका है। नोटबंदी के फ़ैसले को लेकर विपक्ष लगातार मोदी सरकार को घेरने में लगा हुआ है। विपक्ष की ओर से दावा किया जा रहा है कि पीएम मोदी का नोटबंदी का फ़ैसला जल्दबाजी में लिया गया फ़ैसला है। हालांकि इस मसले पर मोदी सरकार की ओर से भी ज़्यादा कुछ नहीं कहा गया है। लेकिन अब इस मसले पर एक न्यूज़ एजेन्सी ने दिलचस्प खुलासा किया है। एजेन्सी के इस खुलासे से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए मोदी सरकार कितनी गंभीर है।
न्यूज़ एजेन्सी रायटर के अनुसार, नोटबंदी के निर्णय को अमल में लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसे भरोसेमंद अफसरशाह को चुना था जिसे आर्थिक महकमे से बाहर ज्यादा लोग जानते नहीं हैं। पीएम मोदी ने छह लोगों की एक टीम बनाई थी। इस टीम में राजस्व सचिव हसमुख भी शामिल थे। बताया जा रहा है कि नोटबंदी के फ़ैसले को सीक्रेट रखने के लिए छह लोगों की ये टीम पीएम मोदी के घर पर गुप्त रूप से दिन-रात काम कर रही थी। इस मामले की सारी रिसर्च यहीं हुई। इतना ही नहीं टीम में शामिल अफसरों को गोपनीयता बरतने की शपथ भी दिलाई गई थी।
पीएम मोदी ने ली थी फ़ैसले की पूरी जिम्मेदारी
मिली जानकारी के मुताबिक, फ़ैसला लागू करने के पहले जब मोदी ने कैबिनेट की मीटिंग बुलाई तो वहां मंत्रियों से कहा था, ”अगर नोटबंदी की पॉलिसी फेल हुई तो इसकी पूरी जिम्मेदारी मेरी होगी।” एजेन्सी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया है कि नोटबंदी को लागू करने से पहले एक साल तक इस पर रिसर्च की गई है। फ़ैसले को गुप्त रखने के लिए टीम आपस में गुजराती भाषा में बात करती थी।
ग़ौरतलब है कि लोकसभा चुनाव 2014 के दौरान मोदी ने अपने अभियान में काले धन को देश में वापस लाने का वादा किया था। पीएम के एक करीबी सहयोगी ने बताया कि पिछले एक साल से ज्यादा से पीएम मोदी, वित्त मंत्रालय के अधिकारियों, रिज़र्व बैंक और विचारकों से इस पर शोध करने को कह रहे थे कि किस तरह काले धन के ख़िलाफ़ लड़ाई को आगे बढ़ाया जाए।