नए साल में केन्द्र सरकार की ओर से एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। दरअसल, अब तक जो बजट फरवरी माह के अंत में पेश किया जाता था उसे अब एक फरवरी को पेश किया जाएगा। इसके साथ ही पिछले 92 साल से रेल बजट को अलग से पेश किए जाने की परम्परा भी खत्म हो जाएगी।
ग़ौरतलब है कि सरकार ने रेल बजट के विलय का फै़सला नीति आयोग के सदस्य विवेक देबरॉय की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिश पर किया था। हालांकि आम बजट में विलय के बाद भी रेलवे को सरकारी खजाने में लाभांश जमा नहीं करना होगा। उसे अपने कामकाज से जुड़े मसलों पर पूरी आजादी होगी। इतना ही नहीं रेलवे को अपने कर्मचारियों को वेतन देने और पूर्व कर्मचारियों को पेंशन देने के साथ-साथ सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों का बोझ भी खुद ही उठाना होगा।
संसदीय मामलों पर मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीपीए) की मंगलवार को संसद भवन में बैठक हुई थी और इसी बैठक में बजट को लेकर इन अहम मुद्दों पर बात हुई। इस बैठक की अध्यक्षता केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने की।
मिली जानकारी के मुताबिक, 31 जनवरी को राष्ट्रपति संसद के दोनों सत्रों को संबोधित करेंगे। बता दें कि साल 2017 का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू होकर 9 फरवरी तक चलेगा।