Friday, September 22nd, 2017 17:10:59
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सोने-चांदी की ज्वेलरी तो खूब पहन ली, अब पहनिए कबाड़ से बनी ज्वेलरी




Fashion

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अगर क्रिएटिविटी हो तो  पत्थर के टुकड़े में भी भगवान की तस्वीर  का सृजन कर उसे पूजा करने के लायक बनाया जा सकता है। कुछ ऐसी ही क्रिएटिविटी का उदाहरण देती हुई है कहानी है दिल्ली की 25 साल की आंचल सुखीजा की। कुछ अलग और नया करने के जुनून में आंचल ने ज्वेलरी को एक नए तरीके और नए रूप में ढालने की ठान ली और किचन में काम आने वाले बर्तन धोने के जूने से कीमती ज्वेलरी बनाने का सिलसिला शुरू किया।

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आंचल बताती हें कि जब उन्होंने अपनी डिजाइनर दोस्त वैशाली को पहली बार बर्तन धोने के स्क्रब से ज्वेलरी बनाकर बताई तो उनकी दोस्त को वो ज्वेलरी बेहद पसंद आई। उन्होंने आंचल को प्रोत्साहित  किया औश्र फिर क्या था  आंचल ने बर्तन धोने वाला जूना, एसी का फिल्टर, बिजली फिटिंग वाला पाइप, माचिस की डिब्बी जैसी चीजों से भी कुछ नया इनोवेशन करने का रास्ता तलाश लिया और ये सब कूड़ा-कबाड़ा और बेकार लगने वाली चीजें गले का हार,  कानों की बालियां बन कर अपने आकर्षण से सभी को मोहित करने लगीं।

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वैशाली के प्रोत्साहन और आंचल के कुछ नया करने के उत्साह ने उन्हें न्यूयॉर्क फैशन वीक तक पहुंचा दिया और वहां उनकी इस अलग अंदाज की ज्वेलरी पर कोई भी फिदा हुए बिना नहीं रह सकता। न्यूयॉर्क फैशन वीक में धमाल बचाने वाली आंचल सुखीजा की इन ज्वेलरी डिजाइन ने साबित कर दिया है कि आभूषण सिर्फ हीरे-मोती और चांदी के मोहताज नहीं होते। बल्कि कुछ ना करने का उत्साह और कलाकर की लगन हो तो बेकार सी लगने वाली चीजों से भी महंगे और आकर्षक वस्तु बनाई जा सकती हैं।

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आंचक कहती हैं कि मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था  कि इतने बड़े फैशन प्लेटफॉर्म पर मुझे इस कबाड़ से बनाई गई ज्वेलरी के लिए इतनी सराहना मिलेगी और साथ ही ये यकीन भी हो गया  की केवल डायमंड, प्लेटिनम की महंगी ज्वेलरी  और अच्छी ड्रेस पहनकर ही हम रैंप पर अट्रेक्टिव नहीं लगते बात हमारे आत्मविश्वास और सपनों को पूरा करने की होती है।

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आपको बता दें कि आंचल पर्यावरण के प्रति काफी सचेत हैं।  वे कहती हैं कि जूना ही नहीं मेरी हर ज्वेलरी में मेरे लिए चुनौती होती है  कि मैं इस कूड़े कबाड़ से क्या-क्या नया और अनोखा बना सकती हूं। सोने-चांदी, मोती से तो हर कोई ज्वेलरी बना लेता  है , लेकिन चैलेंज तो तब है जब आप कबाड़ को आकर्षक बना दो। ये वही कबाड़ है, जिसे हम और आप फेंक देते हैं जो पर्यावरण के लिए भी हानिकारक बनता है, इसलिए इसे कुछ नया रूप देकर हम पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी अपनी भूमिका तय कर सकते हैं।

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