इसरो ने आज इतिहास रच दिया है। चेन्नई से करीब 80 किमी दूर आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से कार्टोसेट-2 मिशन के तहत पहली बार रिकॉर्ड बीस उपग्रहों का प्रक्षेपण किया। इसरो के इतिहास में ये पहला मौैका है जब इतने सारे उपग्रहों को एकसाथ छोड़ा गया। पीएम मोदी ने भारतीय अंतरिक्ष के वैज्ञानिकों को बधाई दी है।
ये सैटेलाइट pslv-c-34 के जरिए अंतरिक्ष में छोड़े गए। भारत के पृथ्वी निगरानी अंतरिक्ष यान कार्टोसैट -2 समते बीस उपग्रहों को धु्रवीय उपग्रह प्रक्षेपण वाहन आज सुबह 9 बजकर 26 मिनट पर उड़ान भरा। बीस में से 17 अन्य दूसरों देश के उपग्रह हैं। इसके अलावा दो सैटेलाइट देश के दो शिक्षा संस्थानों के हैं। इस लांचिंग में एक सैटेलाइट कार्टोसैट-2 सीरीज का इसरो का अपना है।
इन सैटेलाइटों में स्काईसेट gen2-1 गूगूल का सेटेलाइट है,जिसे इमेजरी के लिए यूज किया जाएगा। इसके अलावा इस लांचिंग में चेन्नई की एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी का सत्यभामासैटेलाइट और पुणे के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग का स्वयंम सैटलेाइट है। स्वयंम सैटेलाइट को हैम रेडियो के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। वहीं सत्यभामा सैटेलाइट का इस्तेमाल वायुमंडल में होने वाले प्रदूषण के रिसर्च के लिए किया जाएगा।
कार्टोसैट- 2 की खासियत-
ये इसरो के अपने सैटेलाइट है। इनका मेन काम धरती की हाई रिजॉल्यूशन तैयार करना है। इसमें एक खास तरह के कैमरे लगे हैं, जो भारत में जमीन पर होने वाले किसी भी वानस्पातिक परिवर्तन को बारिकी से पहचान सकेगा। इस सैटेलाइट के जरिए भारत ये सही-सही जान सकेगा कि यहां पर किस तरह के और कितने जंगल हैं। साथ ही नदियों के कटाव और पहाड़ों के उत्खनन के बारे में सटीक जानकारी भी इस सैटेलाइट के जरिए मिल पाएगी। इसरो के अनुसार 20 उपग्रहों का कुल वजन 1,288 किलोग्राम है।