1960 से 90 के दशकों में मुंबई में करीम लाला, वरदराजन, हाजी मस्तान जैसे तस्करों का सिक्का चलता था। ये लोग उस समय विदेशों से सोने और कपड़ों की तस्करी करते थे। उस समय अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम ने अपने भाई शब्बीर के साथ मिलकर तस्करी काम शुरू किया था। 1981 में करीम लाला ने दाऊद के भाई शब्बीर की हत्या कर दी थी। उसके बाद से दाऊदा और करीम लाला के बीच जंग छिड़ गई थी। 1986 में दाऊद के साथियों ने करीम लाला के भाई रहमान का कत्ल कर दिया। इसके बाद करीम टूट गया और ये सब छोड़कर उसने दाऊद से दोस्ती कर ली।
इन सबके बीच अंडरवर्ल्ड और राजनीति का कनेक्शन भी जुड़ा। साल 1984 में मशहूर तस्कर हाजी मस्तान ने दक्षिण मुंबई से चुनाव के लिए पर्चा भरा। लेकिन दबाव और हारने के डर से उसने चुनाव से अपना नाम वापस ले लिया। इसके बाद अंडरवर्ल्ड की दुनिया से राजनीति में अरूण गवली का आगमन हुआ।
अस्सी के दशक में वरदराजन मणिस्वामी मुदलियार मुंबई अंडरवर्ल्ड का एक बड़ा नाम था। तस्करी, कॉन्ट्रेक्ट किलिंग और डाकयार्ड से माल साफ करना वरदराजन का मुख्य धंधा था। लेकिन वरदराजन ने भी जुर्म की दुनिया को अलविदा कह दिया और इनसे पहले ही तस्कर हाजी मस्तान ने भी जेपी नारायण के आंदोलन से प्रभावित होकर जुर्म का रास्ता छोड़ दिया था। पूरी स्टोरी पढ़ने के लिए Next Page पर क्लिक करें।