नई दिल्ली. नोटबंदी के बाद से ही देशभर में अफरा-तफरी मची हुई है। हर कोई अपना पैसा बदलवाना और बैंक में जमा करना चाहता है। इसके लिए कई कालेधन वाले लोगों ने जन-धन अकाउंट का सहारा लेने से भी परहेज नहीं किया है। नोटबंदी के बाद देशभर में अबतक जन-धन अकाउंट में 21,000 करोड़ रूपए जमा हो चुके हैं।
8 नवंबर को प्रधानमंत्री मोदी ने 500 और 1,000 के नोटों को अमान्य घोषित किया था, इसके बाद यह राशि जन-धन अकाउंट में जमा की गई है। वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार इसमें सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल के जन-धन अकाउंट में रुपये जमा किए गए हैं। जन-धन योजना के तहत कुल 24 करोड़ बैंक अकाउंट खोले गए थे।
इन खातों को खोलने का उद्देश्य सभी को बैंकों से जोड़ना और सब्सिडी की राशि भी बैंक खातों में डायरेक्ट पहुंचाना है। नोटबंदी के बाद लोग अपने कालेधन को सफेद करने के रास्ते खोज रहे हैं। इसके लिए भी जन-धन अकाउंट का इस्तेमाल किया जा रहा है। हालांकि वित्त मंत्रालय ने सख्ती से कहा है कि जो लोग अपने अकाउंट का गलत इस्तेमाल होने देंगे और दूसरों का कालाधन अपने अकाउंट में जमा करवाएंगे उनपर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
वित्त मंत्रालय ने कहा, ’अगर इस बात का पता चलता है कि जो धनराशि अकाउंट में जमा की गई है, वह किसी और की है तो इसके लिए टैक्स चोरी करने का मामला बनेगा और इसपर इनकम टैक्स के साथ जुर्माना भी देना होगा।’ इसके लिए अपने अकाउंट का दुरुपयोग करने वाले पर इनकम टैक्स ऐक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। इससे पहले बैंकों को निर्देश दिया गया है कि वे स्मॉल सेविंग अकाउंट में पुराने 500 और 1,000 के नोट न जमा करें।