Wednesday, August 30th, 2017
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नोटबंदी से कैसे घटेगी अमीर-गरीब के बीच की खाई!




Politics

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पीएम मोदी द्वारा 8 नवंबर को बड़े नोटों पर लिए गए ऐतिहासिक फैसले ने सबकी नींदे उड़ा कर रख दी हैं। गरीब का सुख-चैन बैंकों के बाहर लगी लंबी-लंबी लाइनों ने छीन लिया है वहीं दूसरी ओर कालेधन के जमाखोरों की नींद ब्लैकमनी को व्हाइट करने के टेंशन ने उड़ा दी है। इसके अलावा विपक्ष पीएम मोदी के इस फैसले को गलत साबित करने में ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रहा है। कोई इसे तानाशाही वाला फैसला बताकर गलत साबित कर रहा है तो कोई जनता की परेशानियों का हवाला देकर मोदी पर निशाना साध रहा है। राजनीतिक खींचतान के इस माहौल के बीच रविवार को गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने अपने बयान में कहा कि ’’नोट बंदी के फैसले से अमीरों और गरीबों के बीच की खाई घटेगी’’ हालांकि ये किस तरह संभव है इस बात का जिक्र उन्होंने नहीं किया। आइए नोटबंदी के परिणामों के आधार पर जानते हैं कि गृहमंत्री राजनाथ सिंह का बयान वास्तविकता पर खरा उतरता है या नहीं।

परिणाम : नोटबंदी से कैशलेस ट्रांजेक्शन में बढ़ोत्तरी देखी गई है। पेटीएम को इसका काफ़ी फायदा मिल रहा है।

तर्क : नोटबंदी के बाद कैशलेस ट्रांजेक्शन को वो लोग बढ़ावा दे रहे हैं जो पढ़े-लिखे हैं और पेटीएम जैसी सेवाओं तक जिनकी पहुंच है। आज भी भारत में ऐसे लोगों की तादाद ज्यादा है जो नकद लेन-देन में विश्वास रखते हैं और पेटीएम जैसी सेवाओं को वे अपनाना नहीं चाहते। ऐसे में कैशलेश ट्रांजेक्शन के लिए लोगों को जागरूक करना और लोगों को कैशलेस ट्रांजेक्शन की शिक्षा देना एक बड़ी चुनौती है। इसके अलावा आज भी भारत में अशिक्षित लोगों की संख्या ज्यादा है। ऐसे में एक संभावना यह भी है कि कैशलेस ट्रांजेक्शन के चक्कर में कहीं लोग ही कैशलेस न हो जाएं। जहां तक अमीर और गरीब के बीच की खाई को खत्म करने की बात है तो कैशलेस ट्रांजेक्शन का इससे कोई संबंध नहीं है लेकिन ये व्यक्ति के जीवन स्तर में वृद्धि करने वाला साबित हो सकता है।

परिणाम : रियल एस्टेट मार्केट का ज्यादा से ज्यादा काम कैश पर ही चलता है। कैश की कमी के चलते रियल एस्टेट मार्केट ठप्प हो गया है। ऐसे में अनुमान लगाए जा रहे हैं कि मकान और जमीनों की कीमतों में कमी आएगी।

तर्क : कैश की कमी के चलते रियल एस्टेट मार्केट का काम ठप्प हो गया है लेकिन सरकार के नोटों को लेकर सख्त नियमों के चलते प्रॉपर्टी की खरीदी के लिए लोगों के पास भी कैश की कमी है इसलिए प्रॉपर्टी के सस्ता होने पर लोगों को आसानी से प्रॉपर्टी मिलने की बात भी तब ही सही साबित होगी जब उनके पास प्रॉपर्टी खरीदने के लिए कैश होगा। फिलहाल कैश की किल्लत के चलते जिन हालातों से देश गुजर रहा है उसमें किसी गरीब या मिडिल क्लास फैमिली के लिए शायद ही प्रॉपर्टी खरीद पाना संभव हो। हालांकि कुछ बैंकों ने इंटरेस्ट रेट कम कर दिया है लेकिन ये फायदा जनता को ऐसे समय पर दिया गया है जब पहले से ही बैंकों में काफ़ी भीड़ है और आम आदमी बैंक जाने से घबरा रहा है। ऐसे में जब तक कैश की किल्लत खत्म होगी तब तक प्रॉपर्टी के दाम और बैंक के इंटरेस्ट रेट दोनों ही बढ़ चुके होंगे। इसलिए यहां भी गृहमंत्री की बात सही साबित होती दिखाई नहीं देती।

परिणाम : मनरेगा, प्रधानमंत्री व इंदिरा आवास योजना और स्वच्छ भारत अभियान के तहत चलाई जाने वाली योजनाओं पर ब्रेक लग गया है।

तर्क : सरकार की जिन योजनाओं का काम जोरों-शोरों पर चल रहा था नोट बंदी के चलते अब उन योजनाओं पर ब्रेक लग गया है। मनरेगा योजना के तहत जिन मजदूरों का खर्च चलता था वे अब अपना काम छोड़कर बैंक की लाइन में हैं क्योंकि श्रमिकों का भुगतान बीडीओ के माध्यम से उनके खाते में किया जाता है लेकिन बैंक में बढ़ते लोड की वजह से उनके पास पैसा नहीं पहुंच पा रहा है जिसके चलते मजदूर अब काम करने से हाथ खींच रहे हैं और रोटी की जुगत में लगे हुए हैं। वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत महिला समूहों को वित्त पोषित करने का काम भी बंद है क्योंकि इनके खाते में सरकारी पैसा नहीं पहुंच पा रहा है। ये सिलसिला कब तक चलेगा इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता। ऐसे में अमीर और गरीब के बीच की खाई को भर पाना असंभव है।

परिणाम : नोट बंदी के चलते कई जगहों के व्यापारियों ने चीजों के दाम बढ़ा दिए हैं। हालांकि कई जगह काम उधारी में भी चल रहा है लेकिन ज्यादातर व्यापारियों का ध्यान लोगों की मजबूरी का फायदा उठाने की तरफ है।

तर्क : महंगाई हमेशा से ही आम आदमी की कमर तोड़ने का काम करती है। कैश की किल्लत के चलते जहां कुछ लोग उधारी में व्यापार करके इंसानियत की मिसाल कायम कर रहे हैं वहीं ज्यादातर व्यापारी ऐसे हैं जो कैश की किल्लत के बीच मुनाफा कमाने का काम कर रहे हैं। आज आम आदमी के जरूरत की कई चीजें महंगी हो गई हैं और उस पर कैश की कमी के चलते उसका काम-काज भी ठप्प है। ऐसे में यदि आय न हुई और खर्च बढ़ता गया तो आम आदमी अमीर होने की जगह और गरीब हो जाएगा।

इसके अलवा नोटबंदी के ऐलान के बाद गोवा से देश को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि ’’कई लोग चेहरे पर हंसी दिखा रहे हैं, कह रहे हैं कि मोदी जी ने अच्छा किया लेकिन फिर दूसरे ही पल किसी दोस्त को फोन करके पूछ रहे हैं कि कोई रास्ता है क्या। मोदी जी ने तो सारे रास्ते बंद कर दिए हैं। भिखारी भी मना कर रहा है कि हजार का नोट नहीं चाहिए।’’ हालांकि पीएम मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह के बयान एक-दूसरे के विपरीत हैं। एक और जहां गृहमंत्री गरीब को अमीर करने की बात कर रहे हैं वहीं पीएम अमीर को गरीब कर देने की बात कर रहे हैं।

सभी मुद्दों को देखते हुए आप खुद इस बात का अंदाज़ा लगा सकते हैं कि नोट बंदी से अमीर और गरीब के बीच की खाई कम होने की कितनी संभावना है। नेताओं द्वारा जिस तरह इस मुद्दे को उठाया जा रहा है वह सफल होगा या नहीं यह सोचने का विषय है।

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