इस सृष्टि में अगर ईश्वर के बाद कोई परमपूजनीय है तो वह गुरु है, और किसी भी व्यक्ति का प्रथम गुरु उसकी माँ ही होती है, इसलिए माँ को ईश्वर का विकल्प कहा गया है। किताबी ज्ञान से परे एक टीचर किस तरह अपने स्टूडेंट को प्रेक्टिकली स्ट्रांग बना सकता है, यह उसके प्रयोगधर्मिता पर निर्भर करता है, आज हम आपको ऐसी प्रयोगधर्मी माँ से मिलवाना चाहते हैं जो एक टीचर के बतौर अपने बच्चों को नैतिकता का पथ पढ़ने और उनके उत्तम चरित्र के निर्माण हेतु स्वयं को उन्हीं अपने कोख के जनों के सामने ही निर्वस्त्र होने को भी तैयार है.
जी हां यह मां चाहती है कि उसके बच्चे उसे नग्न अवस्था में देखें, लेकिन क्यों?
वे अलग तरह की महिला की बॉडी का अनुभव लें अर्थात मेरी
यह मां हैं जानी-मानी लेखिका रीटा टेम्पलटन, जिन्होंने अपने ये विचार ‘हफिंगटन पोस्ट’ वेबसाइट के साथ शेयर किया है। वह लिखती हैं कि मैं घर में 4 बेटों के साथ रहती हूं। वे चारों काफी छोटे हैं, इसलिए वे अभी व्यस्क लड़कों की तरह व्यवहार नहीं कर रहे हैं, न ही उनके कमरों से व्यस्क पुस्तकें मिल रही हैं। मैं जहां तक सोचती हूं, ऐसी नौबत तब तक नहीं आएगी जब तक वे 25 वर्ष के नहीं हो जाते। लेकिन ऐसी नौबत आए कि वे हॉट और न्यूड युवतियों की तस्वीरें देखें, उससे पहले मै चाहती हूं कि वे अलग तरह की महिला की बॉडी का अनुभव लें अर्थात मेरी।
उनके दिमाग में किसी हॉट न्यूड महिला का शरीर ना बस जाए
मेरा परिवार एक साधारण परिवार नहीं है। लेकिन मैं उनके जैसे वस्त्रों में नहीं घूमती हूं, पर मैं उनके सामने निर्वस्त्र होकर कपड़े बदलने में परहेज भी नहीं करती। मैं चाहती हूं की वे जानें की एक साधारण महिला का शरीर कैसा होता है। अगर मैं ऐसा नहीं करती तो उनके दिमाग में किसी हॉट न्यूड महिला का शरीर बस जाएगा जिन्हें वह किसी व्यस्क पुस्तक या वीडियो में देखेंगे और वह उन्हीं के जैसी काया की तलाश में रहेंगे। ये उनके लिए घातक होगा। मैं चाहती हूं कि मुझे देखकर वे ये जाने किसी भी महिला का शरीर एक समान नहीं रहता जैसा की हॉट युवतियों को देखकर नौजवान समझते हैं।
किसी महिला के तने हुए शरीर को ही आदर्श ना मान लें
रीटा के मुताबिक मै चाहती हूँ कि मेरे बेटे मुझसे पूछें कि मेरे पेट पर निशान कैसे पड़े हैं? मै चाहती है कि वो गर्व के साथ बता सके कि बच्चे को गर्भ में पालना कितना कठिन काम है। मैं नहीं चाहती कि मेरे बच्चे किसी महिला के तने हुए शरीर को ही आदर्श मान लें, जो कि शायद किसी मैगजीन में डिजिटली बनाया गया हो। वो चाहती है कि उसके बच्चों को पता होना चाहिए कि आगे चलकर इनका आकार बदलता है।
मैं तौलिए के लिए कमरे में दौड़ लगाती हूं
रीटा कहती हैं कि उस दिन उन्हें अंदर से खुशी होगी जब उनके बेटे कहेंगे की कपड़े ठीक से पहनिये और दरवाजा खटखटा कर अंदर आएंगे। लेकिन तब तक मैं चाहती हूं कि वह मेरे शरीर को देखकर हंसते रहें जब मैं तौलिए के लिए कमरे में दौड़ लगाती हूं।