ईरान में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे सामने आए जिसके बाद साफ हो गया कि हसन रूहानी ही इस दौड़ के विजेता रहे। हसन रूहानी का ये पहला अनुभव नहीं है जब वे राष्ट्रपति का चुनाव जीते हैं बल्कि वे इससे पहले भी एक बार और राष्ट्रपति बन चुके हैं। उनकी जीत पर सरकारी टीवी चैनल ने उन्हें बधाई दी है।
हसन रूहानी इन दिनों फिर से राष्ट्रपति बनने को लेकर तो सुर्खियों में हैं ही सही लेकिन हम यहां आपको वहीं ख़बर नहीं बताएंगे बल्कि हम बताएंगे हसन रूहानी का भारत से कनेक्शन। उनका भारत से और ख़ासतौर पर पीएम मोदी से गहरा कनेक्शन है। ईरान काफी पहले से ही भारत का मददगार रहा है और इस नाते वहां के प्रेसीडेंट से भी हमारा गहरा कनेक्शन है।
रूहानी की जीत पर एक्सपर्ट्स का कहना है कि उदारवादी हसन रूहानी की जीत के बाद भारत के साथ उसके रिश्तों को और मजबूती मिलेगी। रूहानी पहली बार साल 2013 में सत्ता में आए थे। उनके चार साल के शासनकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि ईरान का पश्चिमी देशों के साथ परमाणु समझौता रहा जिसके तहत यूरोप और अमरीका समेत यूएनओ ने ईरान पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया।
पिछले साल मई में ईरान की यात्रा पर गए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा था कि ईरान के साथ भारत की दोस्ती नई नहीं है और ये मित्रता उतनी ही पुरानी है जितना कि इतिहास। मोदी ने कहा था कि वो इस बात को कभी नहीं भुला सकते कि गुजरात में 2001 में आए विनाशकारी भूकंप में सबसे पहले मदद का हाथ बढ़ाने वाला देश ईरान ही था।
मोदी की यात्रा के दौरान रूहानी ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया था और जब अपने संबोधन के अंत में मोदी मिर्ज़ा ग़ालिब का शेर पढ़ रहे थे तो ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी मुस्करा रहे थे। रूहानी के लिए मोदी अपने साथ एक ख़ास तोहफ़ा भी लेकर गए थे। प्रधानमंत्री की ओर से राष्ट्रपति रूहानी को सुमैर चंद की फ़ारसी में अनुवादित रामायण की प्रति भी भेंट की गई। इस रामायण का फ़ारसी अनुवाद 1715 में किया गया था।