दुनियाभर में होने वाली हर तीन में एक मौत दिल संबंधी रोगों (सीवीडी) की वजह से होती है। दिल के रोग न सिर्फ गलत जीवनशैली बल्कि शोरगुल वातावरण में रहने के कारण भी बढ़ती है। शहरों में बढ़ती आबादी और बढ़ता शोर दिल संबंधी बीमारियों के होने का मुख्य कारण है। वैज्ञानिकों ने सचेत करते हुए खुलासा किया कि शहरों में बढ़ रहे ध्वनि प्रदूषण से दिल की धड़कनों पर बुरा असर पड़ता है जिससे कि दिल संबंधी गंभीर बीमारियां होने का खतरा कई गुना ज्यादा बढ़ जाता है।
लंदन की नोटिंघम ट्रेंट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने बताया कि शोर से वातावरण में होते हल्के परिवर्तन से दिल की सामान्य धड़कनों पर भी बुरा असर पड़ता है। शोध में पाया गया है कि आस-पास में होता परिवर्तन भी स्वास्थ्य पर असर डालता है। ‘इनफार्मेशन फ्यूजन’ पत्रिकारिता में प्रकाशित हुआ इस शोध में खरीददारी कर रहे लोगों को मोबाइल बॉडी सेंसर पहनाये गए जिससे कि 45 मिनट तक उनके दिल की धड़कनों को मॉनिटर किया जा सके।
शोधकर्ता ईमान कंजो ने बताया कि शहर के शोर में खरीददारी कर रहे प्रतिभागियों की सामान्य दिल की धड़कनों में परविर्तन हुआ। उन्होंने कहा अगर ऐसा परिवर्तन लगातार होता रहा तो इससे दिल संबंधी बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है। वाशिंगटन विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर ग्रेगरी रॉथ का कहना है किसी वीडी के जोखिम कारकों में उच्च रक्तचाप, असंतुलित आहार, उच्च कोलेस्ट्रॉल, तंबाकू-धूम्रपान, शराब की ज्यादा खपत और मोटापा शामिल है जो पूरी दुनिया में आम है।
क्या होता है कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक ?
कार्डियक अरेस्ट
कार्डियक अरेस्ट में दिल का ब्लड सर्कुलेशन बंद हो जाता है। दिल के अंदर वेंट्रीकुलर फाइब्रिलेशन पैदा हो जाने के कारण का असर हार्ट बीट पर पड़ता है। ब्लड में फाइब्रिनोजन की मात्रा ज्यादा हो जाने पर भी सर्कुलेशन पर इसका बुरा असर पड़ता है। कार्डियक अरेस्ट में कुछ ही मिनटों में मौत हो सकती है। जिन्हें दिल की बीमारी होती है उनमें कार्डियक अरेस्ट की आशंका ज्यादा होती है।
हार्ट अटैक
हार्ट अटैक सर्कुलेटरी समस्या है। इसमें दिल से जुड़ी धमनियों सिकुड़ जाती है, जिससे ब्लड सर्कुलेशन बंद हो जाता है, दिल की कोशिकाएं मर जाती हैं। इसे मायोकार्डियल इन्फार्क्शन या कोरोनरी थ्रोम्बोसिस भी कहते हैं।