Tuesday, September 12th, 2017 06:22:30
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टीना डाबी ही नहीं इस महिला पीएम ने भी की है दिल्ली यूनिवर्सिटी के इस कालेज से पढ़ाई




टीना डाबी ही नहीं इस महिला पीएम ने भी की है दिल्ली यूनिवर्सिटी के इस कालेज से पढ़ाईSocial

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अभी पिछले कल ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने म्यांमार की यात्रा की और वहां से अपने संबंधों को साझा किया। उन्होंने कहा कि म्यांमार में मिनी इंडिया बसता है और यह देश न तो होता तो गुलाम भारत की ताकत का अंदाजा दुनिया को नहीं लग पाता। दरअसल पीएम का संकेत नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की ओर था और वहीं यह जगह थी जहां आजाद हिंद फौज के माध्यम से नेता जी ने अग्रेजों को ताकत दिखाई।

यहां पीएम मोदी ने अपने समकक्ष आंग सान सू से मुलाकात की और न्यू इंडिया बनाने में आगे आने की बात कही। खैर। यह तो पॉलिटिकल बात रही, लेकिन क्या आप जानते हैं कि वास्तव में आंग सान सू कौन हैं उनका दिल्ली विश्वविद्यालय से क्या संबंध है? आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं। आंग सान सू का जन्म 19 जून, 1945 को म्यांमार (बर्मा) में हुआ और वे अपने देश के उस पद पर हैं जो कि प्रधानमंत्री के समकक्ष होता है।

कम ही लोग जानते हैं कि आंग सान सू वर्मा के राष्ट्रपिता आंग सान की पुत्री हैं और उनकी भी हत्या 1947 में राजनीतिक कारणों से कर दी गई थी। ठीक इसी तरह की हत्या पाकिस्तान की महिला पीएम बेनजीर भुट्टो के पिता जुल्फीकार अली भुट्टो की गई थी।

आपको बता दें कि सू की वर्मा के उन लोगों में शामिल थे जिन्होंने वर्मा में लोकतन्त्र की स्थापना के लिए लम्बा संघर्ष किया और म्यांमार की नेशनल लीग फार डेमोक्रेसी की नेता हैं। उन्हें 1991 में नोबेल शांति पुरस्कार भी प्रदान मिल चुका है। वे अंतर्राष्ट्रीय सामंजस्य के लिए भारत सरकार द्वारा जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार से सम्मानित है।

संघर्ष का प्रतीक


म्यांमार की इस महिला लीडर को अगर संगर्ष का प्रतीक कहें तो अतिशयोक्ति नहीं। उन्होंने लोकतंत्र के लिए करीब 20 साल तक अपने जीवन को कैद में बिताया। बर्मा की सैनिक सरकार ने उन्हें पिछले कई वर्षों से घर पर नजरबंद रखा हुआ था। जहां वे 13 नवम्बर 2010 को रिहा हुई थी।

दिल्ली यूनिवर्सिटी की रही हैं छात्रा

आंग सान सू के पिता आंग सान ने आधुनिक वर्मी सेना की स्थापना की थी और यूनाइटेड किंगडम से 1947 में वर्मा की स्वतंत्रता पर बातचीत की थी। इसी साल उनके प्रतिद्वंद्वियों ने उनकी हत्या कर दी। इसके बाद वे अपनी मां के साथ भारत आ गई और 1964 में दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्रीराम कॉलेज से राजनीति विज्ञान में ग्रेजुएशन किया।

आंग सान ने 1972 में तिब्बती संस्कृति के एक विद्वान और भूटान में रह रहे डॉ माइकल ऐरिस से शादी की। उनके दो बच्चे हैं। वे हमेशा चीन के खिलाफ भारत के हितों की वकालत करती आई हैं। दरअसल चीन से रणनीतिक लड़ाई में म्यांमार की भूमिका बढ़ जाती है और अगर डोकलाम पर चीन कब्जा कर भी लेता है तो म्यांमार से भारतीय सेना को चीनी सेना को टक्कर देने के लिए रास्ता मिल जाएगा।

इन हस्तियों ने भी की है पढ़ाई

बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्रीराम कॉलेज से आंग सान के अलावा जो उल्लेखनीय छात्राएं हैं, उनमें मेनका गांधी, पत्रकार निधि राजदान, अभिनेत्री श्रेया सरन, साक्षी तंवर, गौरी खान, अनुप्रिया पटेल और रूचि आनंद जैसी हस्तियां हैं।

टीना डाबी रही है यहां की छात्रा


आपको जानकर हैरानी होगी कि टीना डाबी लेडी श्रीराम कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस में बीए कर चुकी हैं। 22 वर्षीया टीना डाबी ने पहली ही बार में यह परीक्षा पास कर ली थी। परीक्षा के नतीजे आते ही उनके पास साक्षात्कार लेने वालों की लंबी कतार लग गई।

आइएएस, अभिनेत्री से लेकर पीएम तक

बताते चलें कि डाबी एक सशक्त शिक्षा तंत्र की उपज हैं। ऐसा सशक्त शिक्षातंत्र, जहां ऐसे नेतृत्व का निर्माण होता है, जो अपने आसपास की चीजों को लेकर संवेदनशील हो और इतना जागरूक हो कि अपने समाज की बेहतरी के लिए सही फैसले ले सके और ऐसी सोच को नींव देने का काम लेडी श्रीराम कॉलेज कालेज करता है। जहां से आइएएस, अभिनेत्री से लेकर पीएम तक निकलते हैं।

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