भारत कृषि प्रधान देश है इस बात को तो लोग सालों से कहते आ रहे हैं लेकिन पिछले कुछ दिनों का जो सिनेरियो था वो थोड़ा अलग था। पिछले दिनों हमारे कृषि प्रधान देश का किसान सड़कों पर सरकार के खिलाफ आंदोलन करने उतर आया जिससे पूरे देश की अर्थव्यवस्था और शांति भंग हुई। उनके आंदोलन करने का भी अपना मकसद और मांगे थी। जो भी हो लेकिन अब सरकार किसानों के लिए एक खुशखबरी लेकर आई है जिससे किसानों को काफी फायदा मिलेगा।
किसी भी किसान के लिए खेती करने में सबसे जरूरी होती है सिंचाई अगर उसकी फसल की सिंचाई अच्छे से नहीं होगी तो उसका सीधा असर उसकी इनकम पर पड़ेगा। देश की सरकार ने किसानों को सिंचाई की परेशानी से छुटकारा दिलाने के लिए 9020 करोड़ रूपए की वित्तीय सहायता को मंजूरी दी है।
सरकार ने विभिन्न सिंचाई योजनाओं को पूरा करने के लिए मौजूदा वित्त वर्ष में दीर्घावधि सिचांई निधि के वास्ते 9020 करोड़ रूपए के अतिरिक्त वित्तीय संसाधन जुटाने की मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आज हुई मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला लिया गया। यह राशि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के तहत चल रही प्राथमिकता वाली 99 सिंचाई परियोजनाओं और इसके साथ-साथ उनके ‘कमान और विकास क्षेत्र’ (सीएडी) के त्घ्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी) के कार्यान्वयन के लिए 6 प्रतिशत की वार्षिक ब्याज दर पर कृषि एंव ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा बॉन्ड जारी करके जुटाई जायेगी।
त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रमों (एआईबीपी) के तहत कई प्रमुख और मध्यम स्तर की सिंचाई परियोजनाएं मुख्घ्य रूप से पैसों की कमी के कारण अधूरी पड़ी थी। इन परियोजनाओं की वित्तीय जरुरतों को पूरा करने के लिए ही सरकार ने अतिरिक्त बजटीय संसाधन जुटाने को मंजूरी दी है।
राज्यों और केन्द्रीय जल आयोग द्वारा बतायी गयी स्थिति के अनुसार 99 परियोजनाओं में से 18 सिंचाई परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं या लगभग पूरी होने वाली हैं। इन परियोजनाओं से 2016-17 के दौरान 14 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि को सींचा जा सकेगा। वर्ष 2017-18 के दौरान 33 से अधिक परियोजनाएं पूरी होने की संभावना है। सरकार का मानना है कि इन परियोजनाओं के पूरा होने से सिंचित भूमि का दायरा बढ़ने के साथ ही रोजगार के अवसर पर भी सृजित होंगे।