Saturday, September 23rd, 2017 12:22:48
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सिरदर्द हो या ठंड लगे, तो जांच कराएं… कहीं आपको भी तो नहीं “स्क्रब टाइफस”




सिरदर्द हो या ठंड लगे, तो जांच कराएं… कहीं आपको भी तो नहीं “स्क्रब टाइफस”Health & Food

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इस सीजन में मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया जैसी खतरनाक बीमारी से लोग ग्रसित रहते हैं। ये तो सभी जानते हैं कि ये बीमारियां मच्छर के काटने से फैलती हैं। लेकिन हाल ही में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के डॉक्टर्स ने इन बीमारियों के अलावा एक अन्य बीमारी से भी सावधान रहने की सलाह दी है। इस बीमारी का नाम है स्क्रबब टाइफस। विशेषज्ञों का कहना है कि अब डॉक्टर्स और लोगों को भी इस बीमारी के प्रति जागरूक होने की जरूरत है।

स्क्रब टाइफस की पहचान करना आसान नहीं है। लेकिन हां, इस बात पर गौर कीजिए कि अगर आपको सिरदर्द हो, ठंड लगकर बुखार आ जाए, तो जांच जरूर कराएं। आईएमए के अध्यक्ष डॉ.केके अग्रवाल के अनुसार स्क्रब टाइफस एक इंफैक्टिड डिसीज है जो कई लोगों की मौत का कारण बन सकती है। इसके लक्षण चिकनगुनिया जैसे ही होते हैं। पिछले साल 125 लोग इससे इंफैक्टिड पाए गए थे वहीं 33 लोग इस बीमारी का शिकार हुए। यदि इस बीमारी का इलाज समय पर न कराया जाए तो 33 से 40 प्रतिशत मामलों में मौत की संभावना रहती है।

कैसे होती है ये बीमारी-

ये बीमारी झाडिय़ों में रहने वाले कीड़े यानि माइट के काटने से होती है। इस बीमारी पर नियंत्रण के लिए रिकेटसियल डिसीज गाइलाइन जारी की है। पीएचसी से लेकर मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पतालों तक टेस्ट, मेडिसन तक के मानक तय कर दिए गए हैं। जिसके तहत यदि किसी व्यक्ति को एक सप्ताह से ज्यादा लगातार लंबा बुखार, पेट या सीने पर काला निशान दिखने पर स्क्रब टाइफस माना जाएगा। एमडी डॉ.अजय सिंह के अनुसार स्क्रब टाइफस बैक्टीरियल बीमारी है जो ओरेशिया सुसुगेमोसी नाम के बैक्टीरिया से फैलती है। इससे सिरदर्द, निमोनिया, प्लेटलेट्स कम होना और कीड़े के काटी हुई जगह पर काला निशान बन जाता है। कई बार गंभीर स्थिति होने पर मरीज के ऑर्गन तक काम करना बंद कर देते हैं। पहली बार इस बीमारी की पहचान जापान में 1930 में हुई थी।

स्क्रब टाइफस के लक्षण-

डॉ.अग्रवाल के मुताबिक बीमारी बढऩे पर बुखार तेज हो जाता है। साथ में सिरदर्द भी असहनीय होने लगता है। कुछ मरीजों को पेट में खुजली होती है। या बॉडी के किसी अंग पर चक्ते उभर आते हैं। कई बार तो ये चेहरे पर भी हो जाता है। उन्होंने कहा कि इस बीमारी की पहचान बहुत जल्दी नहीं होती। शुरू के 6 से 21 दिन तक इसकी पहचान बिल्कुल नहीं की जा सकती।

इससे बचने के लिए अपनाएं ये तरीके-

– ऐसी जगह जाने से बचें जहां पिस्सू बड़ी संख्या में होते हैं।
– ऐसी जगहों पर अगर जाना ही पड़े, तो ढंग से कपड़े पहनकर जाएं। फुल स्लीव्स के कपड़े आपको सेफ रखेंगे।
– खुली त्वचा को सुरक्षित रखने के लिए माइक्रो रिपलेंट क्रीम का यूज करें।
– जो लोग ऐसे इलाकों में रहते हैं या काम करते हैं, उन्हें डॉक्सीसाइक्लीन की एक वीकली मेडिसन दी जा सकती है।

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